सामाजिक न्याय तभी सुनिश्चित हो सकता है जब लोगों को लिंग, धर्म अथवा संस्कृति के कारण समस्याओं का सामना न करना पड़े

जौनपुर। 'विश्व सामाजिक न्याय दिवस' के अवसर पर मछलीशहर स्थित सेमरातर गाव में उत्तर प्रदेश डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें संगठन के समन्वयक अजित यादव नें अपनी बातें रखते हुए कहा कि हमारा देश और प्रदेश गंभीर वित्तीय संकट, भारी बेरोजगारी दर, गरीबी, समाजों के बीच बहिष्कार, भेदभाव और सुविधाओं तक पहुंच की कमी सहित महत्वपूर्ण मुद्दों का सामना कर रही है। यह भी एक कुरूप सत्य है कि हमारे समाज का एक बड़ा तबका दुर्भाग्यपूर्ण मुद्दों से त्रस्त है जो लाखों लोगों को एक निष्पक्ष जीवन जीने से रोकते हैं। कई लोग, बिना किसी गलती के, घर, नौकरी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह सुनिश्चित करना विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हम एक ऐसी न्यायपूर्ण दुनिया बना सकें जहां सामाजिक न्याय एक आदर्श हो।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस एक साथ मिलकर बेरोजगारी, गरीबी, जाति भेदभाव, लिंग और धर्म के नाम पर बंटे लोगों को एकजुट करने की कोशिश करते रहने के महत्व को उजागर करता है । भारत में भी सदियों से लोगों के बीच स्तरीय असमानता रही है जो समान अधिकार के विधान को चुनौती देती है यह अमानवीय भी है । इसके लिए भारतीय संविधान में सामाजिक असमानता को खत्म करने के लिए कई प्रावधान हैं।
आधुनिक समय में दौरान विश्व सामाजिक न्याय दिवस का महत्व और बढ़ गया है। समाज में यह जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि सभी एक हैं और किसी में भी कोई भेदभाव नहीं देखना चाहिए। साथ ही समाज में व्याप्त असमानता को जड़ से समाप्त करना है। भारत की बात करें तो यहां भी बहुत सी प्रथाएं ऐसी हैं जहां लिंग,जाति और आर्थिक स्तर के आधार पर समान रूप से न्याय मिल पाना मुश्किल है | इसके चलते लोगों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है| ऐसे लोगों को समानता का अधिकार मिल सके,इससे समस्त समाज का एक साथ विकास होगा।
इस अवसर पर सिकंदर बहादुर मौर्या, राजबहादुर समाजसेवी, आनंद देव, धर्मेन्द्र कुमार, शर्मिला मौर्य, प्रकाश चन्द्र, जितेन्द्र यादव, जिलाजीत आदि लोगों ने भी अपनी बातें रखी ।