दवा कम्पनी के लाइसेंस की वैधता थी समाप्त, किसके इशारे पर चल रही थी एक व्यक्ति जान और दो जख्मी करने वाली फैक्ट्री, आयुर्वेद विभाग आया सवालों के घेरे में

 

जौनपुर। सोमवार को नगर कोतवाली थाना क्षेत्र उर्दू बाजार मोहल्ले में दवा फैक्ट्री में हुए विस्फोट कांड में जिम्मेदार विभाग क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। विभाग का दवा है कि उस फैक्ट्री में जड़ी बूटियों के माध्यम से दर्द निवारक दवाएं बनाई जा रही थी जबकि विस्फोट के बाद मौके पर पहुंचे जिला अग्निशमन अधिकारी और सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच पड़ताल करने के बाद मीडिया को बताया था कि बिस्फोट के फास्फोरस और सल्फर केमिकल समेत अन्य सामानों से बनाया जा रहा था । जिसके कारण यह भीषण हादसा हुआ है। हालांकि कि विभाग हादसा किस कारणों से हुआ है इसकी जांच करने की बात कह रहा है। कम्पनी के लाइसेंस के सवाल पर अधिकारी ने बताया 2022 में वैधता समाप्त हो गया था रिन्यूवल के लखनऊ भेजा गया है जो अभी तक वापस नही आया है। 

नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के उर्दू बाजार में एलम्पिक लैबरोट्रीज इण्डिया ख़्वाजगी टोला, जैनपुर के नाम से आयुर्वेद दवा बनाने की फैक्ट्री काफी दिनों से चल रहा था। सोमवार की दोपहर इस दवा कारखाने में तेज आवाज के साथ विस्फोट हो गया। विस्फोट के चलते पूरे फैक्ट्री में आग लग गया। जिसके कारण पूरे इलाका दहल गया।  इस हादसे में कारखाने के मालिक नुर मोहम्मद, तथा उनके परिवार के सदस्य फैज और रेयाज बुरी तरह से झुलस गए। तीनो को जिला अस्पताल ले जाया गया , जहां पर इलाज के दरम्यान नूर मोहम्मद की मौत हो गई । फैज और रेयाज की हालत नाजुक देखते हुए ट्रामा सेंटर वाराणसी भेज दिया गया था जहां पर दोनों का इलाज चल रहा है। 

इस मामले मंगलवार को पत्रकारों ने क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी से बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि उक्त फैक्ट्री में जड़ी बूटियों का प्रयोग करके दर्द निवारक दवाएं बनाई जा रही थी। बिस्फोट किन कारणों से हुआ है इसकी जांच करने मैं मौके पर गया था लेकिन कम्पनी में ताला लगा होने के कारण जांच नही हो पाई है , जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगा। कम्पनी के रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि 2022 में वैधता समाप्त हो गया था नवीनी करण के लिए लखनऊ मुख्यालय भेजा गया है लेकिन अभी तक वापस नही आया है। फायर ब्रिगेड के एनओसी के बारे उन्होंने बताया कि आयुर्वेद की दवाएं जड़ी बूटियों से बनाई जाती है इस लिए फायरब्रिगेड की एनओसी का कोई जरूत नही है। 

अब सवाल यह उठता है कि जब इस कम्पनी के लाइसेंस का वैधता समाप्त हो गया था तो यह कंपनी चल कैसे रही थी , यदि जड़ी बूटियों से दवा तैयार किया जा रहा था तो इतना जबरदस्त बिस्फोट कैसे हुआ । यदि अग्निशमन अधिकारी और सिटी मजिस्ट्रेट का दावा सही है तो आयुर्वेद विभाग की कार्य प्रणाली कटघरे में खड़ी हो रही है। 

यदि लाइसेंस की वैधता समाप्त होते ही विभाग फैक्ट्री बंद करा देता तो आज न हादसा होता न ही एक व्यक्ति का जान जाती।


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