'भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं : साध्वी प्रज्ञा

 मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर । 'भगवान परीक्षा से नही प्रतीक्षा से मिलते है। भगवान के 24 अवतारों का विस्तार ही भागवत महापुराण है।अन्त समय में जो वृत्ति होती है, उसी के अनुरूप पुनर्जन्म होता है। ये बातें वृन्दावन से पधारी साध्वी प्रज्ञा ने मुंगरा बादशाहपुर के साहबगंज मोहल्ले में स्थित सिद्धपीठ श्रीमहाकाली जी मन्दिर के प्रांगण में श्री महाकाली जी पंच देव सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के भक्तों के बीच कहीं। 


उन्होंने कहा कि कन्हैया ने गिरिराज गोवर्धन की पूजा की और इन्द्र की पूजा करा दी। और इंद्र की पूजा बंद करा दी। भगवान ने यमलार्जुन वृक्ष को गिरा कर नलकुबेर मणि ग्रीव का उद्धार किया। भगवान ने वत्सासुर वक्तसुर रुद्रपुर का उद्धार करते हुए ब्रह्मा के मुंह का नाश किया।  प्रज्ञा जी ने रासपंचाध्यायी, गोपीगीत, का वर्णन किया। महादास में शंकरजी को भी गोपी बनना पड़ा। उन्होंने अंकुर जी का ब्रिज में जाने ,श्री कृष्ण बलराम का मथुरा आगमन, कंस वध, धनुष यज्ञ का आयोजन ,धनुष भंग, कंस वध की कथा सुनायी। कथा के अंत में श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का भावपूर्ण विवेचन किया। और भगवान श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का दिव्य झांकी भक्तों को दर्शन कराया गया। 
 यज्ञ के  पंडित सुरेशकुमार दूबे, पंडित विनय कुमार मिश्र , पवन कुमार आदि ने तबले पर संगत किया।मुख्य रूप से श्याममोहन अग्रवाल ,श्यामलाल साहू, हनुमान प्रसाद गुप्त ,भगौती प्रसाद कसौधन, मनोजकुमार गुप्त, उमाकान्त केशरी, पवन कुमार गुप्त, सुनीलकुमार केशरी राजकुमार गुप्त नेता, भोलेनाथ कासौधन , कुन्दन जायसवाल, मनोज कुमार, सुनील,  देवी प्रसाद , संतोष कुमार जायसवाल व मुन्नू गुप्ता आदि भक्त जन बड़ी संख्या मौजूद रहे।

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