पूर्व सांसद उमाकांत यादव हुए दोषमुक्त, जानिए क्या था पूरा मामला

 

जौनपुर। जीआरपी हत्याकाण्ड में जेल में सज़ा काट रहे पूर्व सांसद उमाकांत यादव के लिए काफी दिनों बाद शुक्रवार को राहत देने वाली खबर आयी है। 20 वर्ष पूर्व हुए एक मामले में आज कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। इस मामले के दो आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके है। 

एक अक्टूबर 2003 को शाहगंज थाना क्षेत्र भादी चुंगी के पास अज्ञात बदमाशों दिन में करीब सवा दस बजे ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर नटौली के ग्रामप्रधान कल्पनाथ यादव उर्फ कलपू को मौत के घाट उतार दिया था। दिन दहाड़े हुई इस वारदात से पूरे जिले में सनसनी फैल गई थी। हत्या से गुस्साई जनता शव को सड़क पर रखकर चक्का जाम कर दिया था जिसके कारण सुल्तानपुर- आज़मगढ़ मार्ग घंटो बाधित रहा। पुलिस ने किसी तरह से जनता को समझा बुझाकर शव को कब्जे में ले पाई थी। 

मृतक की पत्नी राजकुमारी की तहरीर पर पुलिस ने उमाकांत यादव, सहयोगी अजय यादव उर्फ परशुराम निवासी चुनहरा थाना निजामाबाद आज़मगढ़, संतोष सिंह निवासी शेखपुर थाना निजामाबाद आज़मगढ़ समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था । पुलिस ने तफ्तीश के दरम्यान ही तीनो लोगो पर हत्या के मुकदमा के साथ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की थी। हालांकि इस हत्या कांड के आरोपी परशुराम यादव को वाराणसी पुलिस ने तथा संतोष सिंह को जौनपुर पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। 

उमाकांत यादव इस हत्याकांड से कोर्ट से पहले ही दोषमुक्त हो चुके है।  शुक्रवार को अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय एवं एमपी एमएलए कोर्ट ने दोनों पक्षो को सुनवाई किया , अभियोजन पक्ष से मौखिक व दस्तावेजों से साक्ष्य न देने के कारण कोर्ट ने पूर्व सांसद उमाकांत यादव को गैंगस्टर एक्ट से दोष मुक्त कर दिया।


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