नदी के बदरंग से शीघ्र निजात मिलने की जगी लोगों में उम्मीदों का किरण

अब्दुल हक अंसारी

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केराकत। गोमती नदी के निर्मलीकरण के लिए शासन के आदेश पर जल निगम विभाग ने एक कार्य योजना को रूप देने की कवायद शुरू कर दिया है। इस भावी कार्य योजना को लेकर लोगों में उम्मीदों की किरण जगने लगी है। वहीं लोग इस बात को लेकर सशंकित हैं कि यह योजना कहीं फिर 14 वर्ष पूर्व की तरह सरकारी कागजों पर  ही सिमट के रह न जाय।

अभी हाल ही में शासन ने मैली हो चुकी केराकत गोमती नदी के जल के निर्मलीकरण हेतु एक स्वागत योग्य कदम उठाया है। जिसको लेकर क्षेत्र के वाशिंदों में खुशी की लहर देखी जा रही है। देखा जाय तो शासन अभी कुछ माह पूर्व गोमती नदी के निर्मलीकरण हेतु एफ एस टी पी योजना की स्वीकृति हेतु जौनपुर जल निगम विभाग को परियोजना को अंतिम रूप देने हेतु स्टीमेट मांग लिया है। जिसके अनुपालन में जल निगम के अधिकारियों ने कवायद भी शुरू कर दिया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि केराकत के नरहन में भूमि का चिन्हांकन कर लिया गया है। तथा योजना की कार्ययोजना को रुप देने हेतु स्टीमेट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। जल निगम के अधिकारियों का कहना है कि एफ एस टीपी की जो योजना है ।उसके तहत चिन्हांकन भूमि में एक प्लांट लगाया जायेगा। जिसमें केराकत नगर के गोमती नदी के सभी घाटों पर बहने वाले गंदे नालों को इस प्लांट में जोड़ दिया जायेगा। जिसमें नालों के सभी गंदे जल को स्वच्छ जल बनाकर नदी में प्रवाहित कर दिया जायेगा तथा जो कचड़ा बचेगा उसको खाद बनाकर किसानों को खेतों को उपजाऊ बनाने हेतु वितरण किया जाएगा।

वास्तव में यह योजना देखने व सुनने में  तो बहुत ही अच्छी लगती है, साथ ही स्वागत योग्य भी लगती है। किन्तु लोगों में इस  परियोजना को लेकर मन में एक बार फिर शंकाएं जन्म लेने लगी कि कहीं वर्ष 2009 में शासन ने जो इस परियोजना को लेकर एक कवायद की पहल किया था। जो सिर्फ सरकारी योजनाओं में ही सिमट कर रह गयी थी। जिसको लेकर नरहन की कुछ भूमि स्वामियों ने स्वेच्छा अपनी जमीन देने की घोषणा भी कर दिया था। स्टीमेट के  साथ योजना की स्वीकृति हेतु शासन को विभागीय अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट भेज दिया था। किन्तु वह रिपोर्ट शासन के फाइलों में ही कैद होकर रह गयी थी।  कहीं ऐसा तो नहीं कि वही स्थिति पुनः न बन जाए। केराकत नागरिकों का कहना है कि जो नदी के हो रहे कटान, बालू व मिट्टी से पटान के चलने से  नदी सिकुड़ने लगी है ,और नदी में जगह जगह टीले की तरह दिखाई देते हैं। अगर नदी का गहरी करण करने की कोई योजना बनाकर अमल में नहीं लाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गोमती नदी का अस्तित्व व पहचान समाप्त होने में देर नहीं लगेगी। इस महत्वपूर्ण सोचनीय विषय पर भी शासन को गंभीरतापूर्वक विचार कर नदी के गहरी करण करने की योजना बनाकर अमल करना होगा।

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