नियमित करें ध्यान और प्राणायामों का अभ्यास: हरीमूर्ति

जौनपुर। स्वास्थ्य की दृष्टि से ध्यान और प्राणायामों का अभ्यास अति आवश्यक है। इनके नियमित अभ्यासों से मनोदैहिक स्वास्थ्य को सर्वोत्तम बनाया जा सकता है। भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायामों के अभ्यास से जहां श्वसन और पाचन तंत्र सन्तुलन की अवस्था को प्राप्त करता है तो वहीं वाह्य और अनुलोम-विलोम प्राणायामों के अभ्यासों से नर्वस सिस्टम और कुंडली जागरण की प्रक्रिया शुरू होती है। भ्रामरी और उद्गीथ प्राणायामों के अभ्यास से मस्तिष्क की सभी तंत्रिकाएं सक्रिय हो जाती हैं। जब इन स्थितियों में ध्यान को एक साधना के रूप में करते हैं तो शरीर के भीतर के सभी प्रमुख ऊर्जा और शक्ति के केन्द्र सक्रिय होकर व्यक्ति के स्वास्थ्य को सर्वोत्तम बनाया जा सकता है। पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति द्वारा दुधौरा स्थित एक कटरे में योग और ध्यान का अभ्यास कराया जा रहा है। मोटापा, मधुमेह, लीवर, किडनी, हृदय, अनिद्रा और मानसिक समस्याओं से समाधान हेतु रोगानुसार अलग-अलग आसनों के साथ व्यायाम और सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया जा रहा है। इस अवसर पर साधू पाल, डा सिकन्दर यादव, धर्मेन्द्र यादव, सत्येन्द्र पाल, पवन, डा. शिवमंगल यादव सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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