एक अद्भुत अविस्मरणीय ब्यक्तित्व के धनी राजा जौनपुर

जब कोई ब्यक्ति हमारे बीच न हो, उसकी याद माञ से हम भाव -विह्वल हो जायें, उसकी याद माञ से हम रोमांचित हो जायें, जिनकी याद आते ही लोग तरह तरह की किस्से-कहानियों, स्मृतियों की चर्चा करने लगते हैं। किसी भी ब्यक्तित्व का आकलन लोग सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनितिक आधार पर करते हैं। यदि उक्त सभी क्षेत्रों में भूमिका अग्रणी हो तो वह एक अद्भुत अविस्मरणीय ब्यक्तित्व का धनी तो होगा ही होगा। राष्ट-समाज में मान -सम्मान पाने का कितना हकदार होगा ? आसानी से समझा जा सकता है। यह कहना है पूर्व प्राचार्य राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय  के प्रोफेसर (डॉ)अखिलेश्वर शुक्ला का ।                                                             

   जौनपुर के 11वें नरेश राजा  यादवेन्द्र दत्त दुबे का जन्म - 07 दिसंबर 1918 को  तथा शरीर त्याग - 09-09-1999 को प्रातः 09 बजे  वाराणसी के एक निजी अस्पताल में हुआ था। उनकी अंतिमयात्रा में हवेली से रामघाट तक जो भीड़ उमड़ी थी- भारत के गृह राज्य मंत्री, विशिष्ट से लेकर आमजन,सभी धर्मों एवं वर्गों के लोग शवयात्रा में शामिल थे। ऐसी जनमानस की हुजूम न भूतो न भविस्यति। हवेली स्थित एक चन्दन के पेड़ की लकड़ी जिसे स्वयं उन्होंने कटवा रखा था।                     हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत भाषा,कला - विज्ञान के‌ विषयों के साथ साथ ज्योतिष का भी उन्हें दूर्लभ ज्ञान था। मृत्यु से पूर्व ही उन्होंने कह रखा था कि इसी चन्दन की लकड़ी से मेरा दाह-संस्कार किया जायेगा।   महाराज द्वारा रचित आठ पुस्तकों में से दो पुस्तकें पुरस्कृत भी की गई थीं। हवेली स्थित उनकी निजी लाइब्रेरी, ज्ञान एवं अध्ययनशीलता की चर्चा लोग आज भी किया करते हैं ।                        

 राजनीति उन्हें अपने पिता राजा श्री कृष्ण दत्त जी से विरासत में मिली थी। पिता स्वयं अंग्रेजों के शासन काल में राज्य के द्वितीय सदन जिसे वर्तमान में विधानपरिषद(उच्च सदन) कहा जाता है -के सदस्य एवं नगरपालिका जौनपुर के चेयरमैन भी रहे थे। पिता जी के निधन के पश्चात 11वें नरेश के रूप में राजा यादवेन्द्र दत्त जी का 1944 में विधि विधान से समारोह पूर्वक राजतिलक किया गया था।                                                

 राजा यादवेन्द्र दत्त  के पास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना-27-09-1925 के कुछेक वर्षों बाद ही तात्कालिक सरसंघचालक के द्वारा    हमउम्र रहे भारतरत्न नाना जी देशमुख को  जौनपुर की हवेली तक पहुंच बनाने का निर्देश दिया गया। नाना जी काफी डरे हुए शिष्ट भाव से मिलने में कामयाब रहे। आगे चलकर राजा जौनपुर को उत्तर प्रदेश में संध के प्रचार प्रसार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। राम मंदिर निर्माण को लेकर तात्कालिक सरसंघ संचालक की बैठक एवं मंञणा के केन्द्र में जौनपुर रियासत की हवेली रहा है। भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका राजा जौनपुर की रही है। 21-अक्टुबर 1951 जनसंघ की घोषणा दिल्ली से की गई थी। इसके पूर्व जौनपुर के राजमहल में पुरी रूप रेखा तैयार किया गया था।                    
  प्रोफेसर डॉ शुक्ला ने बताया कि स्वतंञ भारत के प्रथम आम चुनाव में भारतीय जनसंघ के प्रवक्ता बनाए गए। आपके ओजस्वी भाषण, अद्भुत याददाश्त की चर्चा आज भी पुराने लोग करते मिल जायेंगे। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में 17 वर्षों तक सदस्य रहे। गृहमंत्री को हराने एवं विपक्ष का नेता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ -जबकि उस समय कांग्रेसी प्रत्याशी को हरा पाना मुश्किल था। लेकिन ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन (BBC) से यह कहा गया कि राजा यादवेन्द्र दत्त दुबे एवं डॉ राममनोहर लोहिया के विरुद्ध कोई भी कांग्रेसी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इस प्रकार तीन बार विधानसभा सदस्य तथा दो बार लोकसभा सांसद रहे। साथहीं तीन बार जेल यात्रा भी करना पड़ा था ।                              
       आपका अनेकों शिक्षण संस्थाओं की स्थापना में भूमि सहित आर्थिक सहयोग रहा है। जौनपुर के बहुत सारे सार्वजनिक स्थल, अस्पताल आपके दानशीलता के साक्षी हैं। आप जबकी गाड़ी जब भी हवेली से निकलती थी। सभी वर्गों के लोग सर झुका कर अभिवादन किया करते थे। हवेली फाटक के सामने प्रसिद्ध अटाला मस्जिद पर बैठे मुस्लिम समुदाय के लोग भी खड़े होकर सम्मान पूर्वक अभिवादन किया करते थे। राजा साहब के ब्यक्तिगत सचिव रहे स्व कल्याण सिंह जी जब मुख्यमंत्री थे तब राजा साहब द्वारा भेजे गए पत्रों को पहले माथे लगाते थे -फिर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही करते थे। उनके जीवन काल में राजनीति के दिग्गज धुरंधरों का जमावड़ा लगा रहता था।          
   वर्तमान में राजा यादवेन्द्र दत्त  के पुत्र राजा अवनीन्द्र दत्त (12वें नरेश) को 2014 के लोकसभा चुनाव में लाने की पुरजोर कोशिश शीर्षस्थ नेताओं द्वारा किया गया। लेकिन यह कहते हुए राजनीति में जाने से इंकार कर दिया कि राज परिवार ने कभी किसी से कुछ मांगा नहीं, पिता जी ने भी राजनीति को धनोपार्जन एवं सुविधा प्राप्त करने का साधन नहीं बनाया, देने का ही काम किया है।                                                            1951में स्थापित जनसंघ के संस्थापक सदस्य राजा यादवेन्द्र दत्त दुबे के नाम पर उतर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय योगी जी ने कलीचाबाद में गोमती नदी पर बनने वाले पुल का नामाकरण करने की घोषणा किया है ।                                    
 राजा जौनपुर से भावनात्मक जुड़ाव रखने वाले लोगों का मानना है कि उनके त्याग, तपस्या और समर्पण को देखते हुए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जिसका इंतजार जौनपुर की आम जनता कर रही है।                                                       जौनपुर के आम खास जनों की तरफ से अपनी तरफ से पुण्य तिथि पर सादर नमन वंदन श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।                        
प्रोफेसर (डॉ) अखिलेश्वर शुक्ला, पूर्व प्राचार्य/ विभागाध्यक्ष- राजनीति विज्ञान , राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर

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