महापुरुष सिर्फ विचारों से ही नहीं, कर्मों से भी अनुकरणीय होते हैं

जौनपुर : जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी  का गहलाई  में चल रहे भागवत कथा के षष्ठ  दिवस में उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए बताये कि सत्संग सुनने से मन के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं उसे परमात्मा का ज्ञान हो जाता है परमात्मा में प्रेम हो जाता है और वह परमात्मा के बनाए हुए सिद्धांतों का अनुसरण करने लगता है जिससे उससे जीवन की ज्योति सदा प्रकाशित रहती है।।सत्संग जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है।   


यह मन के बुरे विचारों व पापों को दूर करता है। *भतृहरि ने जो लिखा है,* उसका *आशय है कि* ' *सत्संगति मूर्खता को हर* *लेती है, वाणी* *में सत्यता* *का संचार करती है।* *दिशाओं में मान-सम्मान को* *बढ़ाती है, चित्ता में प्रसन्नता* *को उत्पन्न करती है और दिशाओं में यश को विकीर्ण करती है।।* 
जैसे सूर्य के सम्मुख जाने से अंधकार तो दूर भाग जाता है किंतु अधिक से अधिक प्रकाश होता चला जाता है।
 *महाराज श्री ने बताया कि* 
हम देखते हैं कि जब प्रातः काल सूर्य का उदय होता है तब ज्यों-ज्यों सूर्य नजदीक आता है त्यों ही त्यों सूर्य के प्रकाश का अधिक असर पड़ता है।
ठीक उसी प्रकार हम जितने ही महात्माओं के समीप होते हैं हमको उतना ही अधिक ज्ञान का लाभ मिलता है वह एक ज्ञान के पुंज हैं ।।
उस ज्ञान के पुंज से हमारे अंदर अंधकार का नाश होकर हमारे हृदय में भी ज्ञान के सूर्य का उदय होता है।।
 *अज्ञान के अंधकार का नाश होकर ज्ञान के प्रकाश का उदय होता है।।* 
यह उन महात्माओं या महापुरुषों का प्रभाव है जो भगवान के भेजे  हुए  महापुरुष हैं। अथवा जो महापुरुष परमात्मा को प्राप्त हो चुके हैं, यानी ब्रह्मा में मिल चुके हैं। ऐसे महात्मा परमात्मा ही बन जाते हैं।
इसलिए परमात्मा के गुण प्रभाव उनके गुण प्रभाव हैं, यह समझना ही महात्मा को तत्व से समझना है।।
वास्तव में *महात्मा का आत्मा* परमात्मा से अलग नहीं है, पर हम मानते नहीं उसे परमात्मा से भिन्न समझते हैं इसीलिए परमात्मा की प्राप्ति से वंचित रहते हैं।यह समझ तभी आती है जब *अंतःकरण की शुद्धि* होती है।।
 *कथा के पूर्व महाराज* श्री का वैदिक विधियों द्वारा  पादुका पूजन आचार्य कृष्ण कुमार द्विवेदी,  योगाचार्य रितेश दूबे,हिमांशु शुक्ल पण्डित शिवकेश एवं मुख्य यजमान बलराम मिश्रा, बालकृष्ण मिश्र , श्यामधर मिश्रा ,,अखिलेश तिवारी (अकेला), कृष्ण मोहन तिवारी, संभवानंद महाराज, प्रेम शंकर मिश्रा, गुलाबधर मिश्र,आजाद मिश्रा,राजवीर मिश्रा ,मनोज मिश्रा सहित अनेकों भक्तों द्वारा संपन्न हुआ।।

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