सालाना मजलिस का हुआ आयोजन

जौनपुर। शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ में शिया जामा मस्जिद के मुतवल्ली समाजसेवी शेख़ अली मंज़र डेज़ी के वालिद शेख़ हसीन अहमद मरहूम और चाचा शेख़ निहाल अहमद मरहूम की इसाले सवाब की मजलिस को जामिया इमानिया नासिरिया के अध्यापक मौलाना उरूज़ हैदर खां ने सम्बोधित करते हुये कहा कि अल्लाह के रसूल की पैरवी के बैग़ैर मुसलमान दो रकात नमाज़ भी सही तरीक़े से अदा नहीं कर सकते। रसूले करीम की हदीस  है कि नमाज़ उस तरह से अदा करो जैसे मैं नमाज़ पढ़ता हूं, इसलिए रसूल की हदीस की रोशनी में मुसलमानों को क़ुरान और अहलेबैत से बराबर का रिश्ता रखना चाहिए। मजलिस में मौलाना उरुज हैदर खां ने हज़रत इमाम हुसैन की शहादत का मसायब पढ़ा। अन्त में शेख़ हसीन अहमद मरहूम इब्ने शेख़ नूरूल हसन मरहूम एवं शेख़ निहाल अहमद मरहूम इब्ने शेख़ नूरूल हसन मरहूम की मग़फेरत के सूर ए फातेहा की। तिलावत मजलिस में मौजूद मोमेनीन ने किया। इस अवसर पर शौकत हुसैन मास्टर, मोहम्मद शकील एडवोकेट, शेख ताकि हैदर, मोहम्मद कौसर बाबा, मिर्ज़ा कौसर, सैययद इश्तेयाक़ हुसैन, तहसीन अब्बास, इश्तेयाक़ सलमानी कर्बलाई, एसएम शांदा, सैययद वसीम हैदर, शेख़ दिलशाद, महमुदुल हसन‌, सैय्यद असलम नक़्वी, सैय्यद नासिर एडवोकेट, तालिब रज़ा, शकील एडवोकेट, नासिर रज़ा सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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