रस बुद्धि से निवृत्त होने पर जीवन में हर दिन दीपावली हो जाती है: नारायणानंद तीर्थ

जौनपुर। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज के पावन सानिध्य में विभिन्न स्थानों से आए भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हुए कहा कि विषयों के प्रति ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से रस बुद्धि के कारण आशक्ति पैदा हो जाती है।रस बुद्धि से जो सुख हमें मिलता है उसे पाकर हम कह उठते हैं कि अहा! बहुत मजा आया।वास्तव में यह कहकर हम सिर्फ इन्द्रिय सुख की स्मृति मात्र कर रहे होते हैं।रस बुद्धि भोगों के प्रति गुलामी पैदा करती है। इसे ही भव रोग कहते हैं।इन्द्रियों में सबसे कठिन जकड़न 'काम' की होती है। विषयों पर ध्यान लगे रहने से कामना पैदा होती है और कामना में विघ्न पैदा होने पर प्राणी के अंदर क्रोध पैदा होता है। क्रोध होश समाप्त कर देता है। शिवत्व का ज्ञान होने पर भक्ति रस उत्पन्न हो जाता है। गुरु के सानिध्य में श्री शिव महापुराण का श्रवण हमारे अंदर भक्ति रस पैदा कर देता है। भक्ति हमारे आनन्द को स्थिरता प्रदान कर देती है हमारा तादात्म्य सच्चिदानंद से हो जाता है। सच्चिदानंद से जुड़ाव होते ही जीवन चलती फिरती दीवाली हो जाता है जिसमें हर दिन हर पल दीवाली की अनुभूति होती है।

महाराज जी ने कहा कि शिव महापुराण की कथा कहती है कि भगवान भोलेनाथ बहुत ही भोले हैं। उन्हें पाने के लिए कठिन तंत्र मंत्र की आवश्यकता नहीं है। शिव लिंग पर श्रद्धा भाव से एक लोटा जल भी समर्पित करना बहुत है कोशिश यह हो कि हर घर के लिए एक शिवलिंग हो लेकिन शिवलिंग न होने पर भक्त अगर दीप प्रज्ज्वलित करे तो उसकी ज्योति भी लिंग की आकृति होती है। ज्योतिलिंग का स्मरण करके भी हम प्रार्थना कर सकते हैं।


सत्संग शुरू होने से पूर्व क्षेत्रीय लोगों के अलावा मिर्जापुर, भदोही, प्रयागराज आदि गैर जनपदों से सत्संग पंडाल में पधारे भक्तों ने पादुका पूजन किया। प्रवचन के समापन पर आरती की गई।

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