श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड के दोनों आरोपियों को मिली सजाए मौत

 जौनपुर। सिंगरामऊ के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में 28 जुलाई 2005 को हुए बम विस्फोट के मामले में कोर्ट ने दो अरोपियो को दोषी मिलने पर मृत्यु दंड की सज़ा और 5- 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस विस्फोटक कांड में 14 लोगो मौत हुई थी 62 लोग घायल हुए थे। 

 इस मामले अन्य दोषियों को वर्ष 2016 में ही मृत्युदंड से दंडित किया जा चुका है। इनकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। 

श्रमजीवी बम विस्फोट में दोषी आतंकी हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल और नफीकुल विश्वास को बुधवार को फांसी की सजा सुनाई गई। अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश कुमार राय की अदालत ने अपने फैसले में लिखा कि दोनों आतंकियों को मौत होने तक फंदे पर लटकाया जाए। करीब 18 साल पहले 28 जुलाई, 2005 को हरपालगंज क्रॉसिंग पर राजगीर (बिहार) से नई दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस में आतंकी धमाका हुआ था जिसमें 14 लोगों की जान गई थी। बुधवार को फांसी की सजा पाने वाले दोनों आतंकी 22 दिसंबर को दोषी करार दिए गए थे। इसी मामले में दोषी दो अन्य आतंकियों को वर्ष 2014 में ही सजा-ए-मौत हो चुकी है। हाईकोर्ट में उनकी अपील विचाराधीन है।

कोर्ट ने कुल 106 पन्नों में फैसला लिखा। विभिन्न धाराओं में आतंकी हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल पर 10 लाख 70 हजार और नफीकुल विश्वास पर 10 लाख 20 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश पांडेय व अपर जिला शासकीय अधिवक्ता वीरेंद्र मौर्य ने बताया कि श्रमजीवी बम विस्फोट में दोषी दोनों आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने दोनों आतंकियों को साजिश रचने के दोष से बरी कर दिया। आईपीसी की धारा 120 बी में दोनों आतंकी दोषी नहीं माने गए। इसके अलावा विस्फोटक अधिनियम में भी दोनों आतंकियों को दोषमुक्त कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि नफीकुल विश्वास भारतीय नागरिक है। उस अगव फारेनर्स एक्ट लागू नहीं होगा। इसकी वजह से उसके ऊपर लगने लेख वाली अर्थदंड भी कम हो गया। न्यायाधीश ने फांसी की सजा सुनात हुए कहा कि मौत होने तक दोनों आतंकियों को फंदे पर लटकाया जाए। मृत्युदंड की पुष्टि के लिए जरूरी कागजात संग पत्रावली इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजी जाए।


हरपालगंज क्रॉसिंग पर आतंकी धमाके के बाद श्रमजीवी एक्सप्रेस के गार्ड जफर अली की तहरीर पर जीआरपी थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जुलाई, 2006 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया। सात आतंकियों को चिह्नित किया गया जिनमें रोनी उर्फ आलमगीर व ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबूभाई को वर्ष 2016 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

सात में चार आतंकियों को मिल चुका है मृत्युदंड

श्रमजीवी बम विस्फोट मामले में चिह्नित कुल सात आतंकियों में को सजा-ए-मौत हो चुकी है। रोनी उर्फ आलमगीर को 30 जुलाई 2016 और ओबैदुर्रहमान को 31 अगस्त, 2016 को फांसी की सजा सुनायी गई थी। हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन व नफीकुल विश्वास को तीन जनवरी, 2024 को मृत्युदंड की सजा मिली। एक आरोपी अन्य आरोपी डॉक्टर सईद की मौत हो चुकी है। शेष दो अभी फरार हैं।

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