परिस्थितिजन साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

 

जौनपुर। श्रमजीवी विस्फोट कार्ड में घटना की फिर अज्ञात के खिलाफ दर्ज कराई गई थी केस परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि हिलाल व रोनी को कांस्टेबल सुरेश व श्याम जी ने विस्फोट वाले दिन  को प्लेटफार्म नंबर 9 पर वाराणसी में विस्फोट वाले डिब्बे में घबराए हुए जाते हुए देखा था तथा रोकने पर कहा कि अंदर उनका सामान है झूठ ज्यादा है उसी समान को देख रहे हैं इसी बीच गाड़ी स्टार्ट हो गई और यह लोग दूसरी बोगी में दौड़कर चढ़ गए। बाद में इन दोनों ने दोनों आरोपितों की कोर्ट में पहचाना। इसके अलावा विस्फोट कांड में ट्रेन में बैठे घायलों ने हिलाल व रोनी का हुलिया बताया था। कोर्ट में भी मिलता जुलता व्यक्ति बताया। नफीकुल विश्वास ने विस्फोट कांड में अन्य आरोपितों की मदद किया। ओबैदुर्रहमान, अनीसुल व मोहिबुल के बयान सभी सभी आरोपितों की संलिप्तता प्रमाणित होती है। हिलाल व नफीकुल जब जौनपुर लाए गए। विवेचना उन्हें जब लेकर गया तो दोनों ने वह स्थान जहां से बम बनाने का सामान खरीदा गया था जहां बम बनाया गया था और इत्यादि बातों के बारे में बताया था। इन परिस्थितियों के आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया।

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