फांसी 12 से अधिक,लटका मात्र एक, इधर 7 वर्ष में 7 फांसी

जौनपुर। दीवानी न्यायालय में अब तक 12 से अधिक मामलो में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन मड़ियाहू के रामपुर नद्दी में कटहल के विवाद में आरोपी लालचंद्र मिश्र को ही राष्ट्रपति तक राहत नाहीं मिली। उसे 1983 में फांसी हो गई। इसने अपनी भाभी व भतीजे की हत्या किया था।कोतवाली के चहारसू चौराहा के निकट स्वतंत्र कुमार बैकर को 1972 में पिता रामलाल व बहन की गोली मारकर हत्या के मामले में फोसी हुई थी, जो बाद में उम्र कैद में तब्दील हो गई। लाइन बाजार के पचोखर में नाबालिग बच्चे की गड़ासी से गला काटकर हत्या के आरोपी जीत बहादुर व मुख्तार को 1980 में फासी हुई। राष्ट्रपति ने उम्र कैद में बदल दिया। अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय ने सुजानगंज के एक मामले में 1984 में फांसी दिया। आरोपी गोपाल ने परिवार वालों की हत्या कर दिया था। 30 अक्टूबर 2009 को रामपुर के जमालापुर तिहरा हत्याकांड में आरोपी आलम सिंह को अपर रात्र न्यायाधीश राजेंद्र चंद्र ने फांसी की सजा सुनाई जो उम्र कैद में तब्दील हो गई। श्रमजीवी कांड में 30 जुलाई2016 को बांग्लादेशी आतंकी रोनी उर्फ आलमगीर को एवं 31 अगस्त 2016 को बांग्लादेशी आतंकी ओबैदुर्रहमान को अपर सत्र न्यायाधीश बुद्धिराम यादव ने फांसी की सजा सुनाया। बक्सा के सिरौली गांव में 26 सितंबर 2012 को पत्नी की जलाकर हत्या करने वाले शराबी पति मनोज कुमार को अपर सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह गौतम ने 19 मई 2018 को मृत्युदंड व ₹20,000 जुर्माने की सजा सुनाया था। मड़ियाहूं निवासी 11 वर्षीय बच्ची से 6 अगस्त 2020 को शाम 8:00 बजे टॉफी बिस्किट दिलाने के बहाने ले जाकर दुष्कर्म करने एवं उसके शव को एसिड से जलाने के दोषी बाल गोविंद को अपर सत्र न्यायाधीश रवि यादव ने 8 मार्च 2021 को मृत्युदंड व 10,000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाया था। श्रमजीवी विस्फोट कांड के बांग्लादेशी आतंकी हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन तथा पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास को बुधवार को मृत्युदंड एवं जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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