विद्यालय मर्जर के विरोध में उठी चिंगारी, अब बन रहा है शोला

 विद्यालय मर्जर और प्रधानाध्यापकों को सरप्लस करने के निर्णय के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक संघ का आंदोलन तेज़ — 8 जुलाई को होगा ज़िला स्तर पर धरना, 6 जुलाई को ट्विटर जनजागरण

जौनपुर। प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार की विद्यालय मर्जर नीति और प्रधानाध्यापकों को सरप्लस करने के आदेशों के खिलाफ जोरदार आंदोलन की घोषणा कर दी है। शिक्षकों, अभिभावकों, ग्राम प्रधानों और रसोइयों का यह साझा आक्रोश अब जनांदोलन का रूप लेने जा रहा है।

प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे तथाकथित "पेयरिंग" अभियान के तहत हजारों प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को या तो मर्ज कर दिया गया है या बंद करने की तैयारी है। सबसे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि 100 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों से प्रधानाध्यापक हटाए जा रहे हैं, जिससे न केवल प्रशासनिक अव्यवस्था फैलेगी, बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित होगी। शिक्षा की बुनियाद हिलाने वाले इस फैसले से शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों और ग्रामीण समाज में जबरदस्त असंतोष फैल गया है।

संघ ने दी चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी

प्राथमिक शिक्षक संघ के ज़िलाध्यक्ष अरविंद शुक्ल ने जानकारी दी कि:

  • 3 और 4 जुलाई को सभी विधायक और सांसदों को विद्यालय बंदी के विरोध में ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें अभिभावकों की असहमति भी जोड़ी जाएगी।
  • 6 जुलाई को दोपहर 1 बजे से ट्विटर/एक्स अभियान के ज़रिए "#विद्यालय_बचाओ" हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर जनजागरण किया जाएगा।
  • और फिर 8 जुलाई को ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन कर सरकार तक शिक्षकों की आवाज़ पहुंचाई जाएगी। धरने में रसोइयों, ग्राम प्रधानों और शिक्षकों के साथ हजारों की संख्या में अभिभावक भी शामिल होंगे।

“बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ नहीं सहेंगे” — संघ का एलान

संघ का कहना है कि विद्यालयों को एकीकृत करने का यह आदेश ग्रामीण छात्रों को शिक्षा से दूर करने की एक साजिश है। कई छात्र अब 2 से 5 किलोमीटर दूर तक स्कूल जाने को मजबूर होंगे, जिससे ड्रॉपआउट रेट में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। वहीं दूसरी ओर रसोइयों की नौकरियां छिनेंगी, जिससे सैकड़ों परिवारों की आजीविका पर संकट आ जाएगा।

शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि विभाग के अधिकारी विद्यालय मर्जर को लेकर प्रधानाध्यापकों और ग्राम प्रधानों पर दबाव बना रहे हैं। यह न केवल गैरलोकतांत्रिक है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ क्रूर मज़ाक भी है।

30 जून को उठी थी चिंगारी, अब बन रहा है शोला

30 जून को प्रदेश के 822 ब्लॉकों में आयोजित शिक्षकों, अभिभावकों और ग्राम प्रधानों की सामूहिक बैठकों में इस निर्णय के खिलाफ एक सुर में विरोध जताया गया। हर ब्लॉक से प्रस्ताव पारित कर सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग की गई। अब यह असहमति एक सशक्त और संगठित जनांदोलन में बदल चुकी है।

“विद्यालय बचाओ, भविष्य बचाओ” बना आंदोलन का नारा

संघ का स्पष्ट कहना है कि यह सिर्फ शिक्षकों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह हर छात्र के भविष्य और हर ग्रामीण समाज की गरिमा की लड़ाई है। जब तक सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती, आंदोलन चरणबद्ध रूप से तेज होता जाएगा।


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