रूठे बादल, सूखे खेत, रोती आंखे , उड़ता रेत

 

जौनपुर । बादलों को बरसाने वाला आषाढ़ इस बार किसानों को तरसाने का काम कर गया तो सावन भी अब रूठा हुआ है। मौसम की इस मार से किसान बेहाल है और किसानी पहाड़ बन गई है जिले में सूखे के हालात के कारण धान की रोपाई पिछड़ गई है तो अन्य फसलो की बुआई ठप है । रूठे बदलो के चलते पुरुवा बयार खेतो में रेत उड़ा रही है । जहां रोपाई और बुआई हो चुकी है वहां पीले पड़ते फसलो को देख किसानों के चेहरे पीले पड़ रहे है। बदलो की बाट जोहती आंखो में उमड़ घुमड़ रहा पानी मानो यही कह रहा है कि .....का बरखा जब कृषि सुखानी । 

अषाढ़ समाप्त हो गया और 14 जुलाई से सावन लग गया है। अब तक खेतों के साथ-साथ ताल-तलैया में पानी ही पानी दिखना चाहिए था, लेकिन खेत सूख रहे हैं। ताल-तलैयों के साथ-साथ नहरों में धूल उड़ रही है। मौसम के तेवर देख किसान चिंतित हैं। बारिश के मौसम में भी खेतों में दरारें पड़ी हैं। कई किसानों ने तो इस साल कम बारिश होने का अनुमान लगाते हुए खेती का दायरा ही कम करने की सोच रहे हैं। ऐसे में जनपद में फसलों के उत्पादन पर असर पड़ना तय है। हालांकि मौसम केंद्र लखनऊ के निदेशक जेपी गुप्ता का कहना है कि किसान भाइयों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। अनुमान है कि अगले तीन-चार दिन के अंदर अच्छी बारिश शुरू हो जाएगी। 

जनपद में इस साल 226318 हेक्टेयर खेती का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी तक 29537.065 हेक्टेयर ही खेती की जा सकी है। यानी 13.05 प्रतिशत ही खेती की गई है। मौसम को देखते हुए अधिकांश खेत अभी तक खाली हैं। वहीं, जून में औसत 87.60 मिलीमीटर बारिश होनी थी लेकिन 17.06 मिलीमीटर ही बरसात हुई। जबकि जुलाई में 87.60 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी मगर अब तक महज 10.04 मिलीमीटर वर्षा हुई है लेकिन यह बारिश छिटपुट हो रही है। इसके कारण मिट्टी की ऊपरी परत भी गीली नहीं हो पा रही है। मौसमविद् बताते हैं कि एक दशक से लगातार औसत 865.90 मिलीमीटर से काफी कम वर्षा हो रही है। इस तरह कम बारिश के चलते खेती में लागत अधिक आ रही है। साथ ही दीमक और अन्य कीटों का प्रकोप भी बढ़ गया है। इससे किसान चिंतित हैं। जुलाई का पहला पखवारा बीत गया है लेकिन औसत बारिश न होने के कारण किसानों के चेहरे पर मायूसी साफ दिख रही है। दूसरी ओर अधिकांश नहरें सूखी हुई हैं। इनमें पानी है भी, वह आवश्यकता से कम, क्योंकि विभाग की डिमांड से 400 से 600 क्यूसेक पानी कम मिल रहा है। इसके कारण किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। जनपद में विभिन्न खंडों की कुल 343 नहरें हैं लेकिन इनमें आधे से अधिक में तो धूल उड़ रही है। जबकि कुछ नहरों में पानी छोड़ा गया है, जो किसानों की आवश्यकताओं की पूर्ति भी आसानी से नहीं कर पा रही है। ज्यादातर नलकूप खराब पड़े हैं, जो सही भी हैं वह बिजली की आंखमिचौली के शिकार हो जाते हैं। इसके चलते बारिश न होने से खेती का कामकाज पिछड़ रहा है। तेज धूप से धान की बेहन सूख रही है। तैयार धान की बेहन से धान की रोपाई नहीं हो पा रही है, किसानों में हताशा दिख रही है। इलाके में शारदा सहायक खंड 36 भीमपुर रजवाहा में इस समय पानी की जगह धूल उड़ रही है। किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। धान की खेती बारिश पर ही आश्रित है। यहां तक कि मक्का ज्वार बाजरा उर्द अरहर की बुवाई भी प्रभावित है। एक्सईएन, सिंचाई विपिन कुमार ने कहा कि बताया कि लखीमपुर से पानी की आपूर्ति होती है। इस समय बारिश न होने के कारण दिक्कत बढ़ गई है। हमें एक हजार क्यूसेक पानी की जरूरत है। इसकी मांग की गई है लेकिन उतना नहीं मिल पा रहा है। इस कारण दिक्कत हो रही है।

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