दो गांवो से आ रही बारात इस वर्ष भी वगैर दुल्हन के वापस लौट गयी

 जौनपुर। कई वर्षो से दो गांवो से आ रही बारात इस वर्ष भी वगैर दुल्हन के वापस लौट गयी। दोनो गांवो से हाथी घोड़े पर सवार होकर आये दुल्हे और बाराती बैण्ड बाजे के धुन पर थिरकते हुए पहुंचे थे, शादी करने के लिए लेकिन इस वर्ष भी दूल्हो और बारातियों को मायूसी ही हाथ लगी। लौटते समय दोनो गांव के लोगो ने अगले वर्ष आज के ही दिन फिर बरात लेकर आने की चेतवानी देकर वापस लौट गये। यह हकीकत नही बल्की दो गांवो बीच 171 वर्षो चली आ रही एक परम्परा का हिस्सा है। यह परम्परा हर वर्ष कजरी के दिन निभाई जाती है। 

 राजेपुर व कजगांव से लड़कियां जरई बहाने राजेपुर के कजरहवा पोखरा पर आती हैं। इनके बीच कजली का मुकाबला होता है वे एक-दूसरे से जीतना चाहती हैं, लेकिन शाम होते-होते कोई परिणाम सामने नहीं आता। बुधवार को हुए आयोजन में राजेपुर की तरफ से दद्दू साव तथा कजगांव की लड़कियों की ओर से कालिका साव लड़कियों को घर ले जाने को आए। लड़कियों ने कहा कि जब तक कजरी का फैसला नहीं हो जाता तब तक हम सभी यहां से नहीं जाएंगे। इस पर राजेपुर की लड़कियों के सदस्य दद्दू साव ने कहा कि अब शाम हो गई है। पोखरे पर रहकर कजरी करना ठीक नहीं है। सभी लोग मेरे घर चलें वहीं पर कजरी मुकाबला होगा। वहां भी पूरी रात कजली चली, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल सका। जब कजगांव की लड़कियां जाने लगी तो दद्दू साव ने परंपरा के अनुसार उनकी विदाई की। यही परंपरा इन दोनों गावों के लोग प्रतिवर्ष मनाते चले आ रहे हैं। दोनों गांवों की तरफ से दूल्हा आते हैं, लेकिन दुल्हन नहीं ले जा पाते।

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