दिल्ली के वकील ने आरोपितों के मामले में की थी बहस, बांग्लादेशी की फीस आई कहां से?

 

हिमांशु श्रीवास्तव एडवोकेट
जौनपुर : श्रमजीवी विस्फोट कांड में दोषी करार किए गए बांग्लादेशी आतंकी हिलाल व बंगाल के नफीकुल के पास शुरुआत में कोई वकील नहीं था उनके पास कोई जमानतदार भी नहीं था। इसलिए सरकार की तरफ से पैरवी के लिए एमिकस क्यूरी ताजुल हसन नियुक्त किए गए। सरकारी वकील वीरेंद्र मौर्य ने बताया कि आरोपितों के मुकदमे में बहस करने के लिए पूर्व में आजमगढ़ के वकील भी आते थे।वर्तमान में बहस के समय दिल्ली के अधिवक्ता आरिफ आए थे। प्रश्न यह उठता है कि जिन आरोपितों के पास जमानतदार भी नहीं थे। महंगे वकील को फीस देने के लिए आरोपितों के पास रुपये कहां से आए। बांग्लादेशी आतंकी के मुकदमे की पैरवी व बहस के लिए महंगे वकील की फीस किसने अदा की।इसी प्रकार पूर्व में मृत्युदंड से दंडित बांग्लादेशी आतंकी ओबैदुर्रहमान व रोनी के मुकदमे की भी पैरवी हाईकोर्ट में मंहगे वकील कर रहे हैं।

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