अधिग्रहण विरोधी मोर्चा ने बक्शा में किया जोरदार प्रदर्शन
https://www.shirazehind.com/2013/09/blog-post_3163.html
जौनपुर। वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के चैड़ीकरण एवं बाईपास में उपजाऊ भूमि कृषि के अधिग्रहण के खिलाफ विकास खण्ड बक्शा के 21 गांव जहां से बाईपास गुजर रहा है, के किसानों ने भूमि अधिग्रहण विरोधी मोर्चा के नेतृत्व में मंगलवार को भारी संख्या में एकत्रित होकर जोरदार प्रदर्शन किया। धरनास्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुये प्रवीण शुक्ल ने कहा कि आजादी के 66 वर्षों के बाद भारत सरकार की समझ में आया कि वर्ष 1894 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया भूमि अधिग्रहण कानून देश की जनता के साथ नाइंसाफी है। उसनने आनन-फानन में 2011 में भूमि अर्जन, पुनर्वासन व पुनव्र्यवस्थापन विधेयक संसद में विचारार्थ पेश किया जो 2012 तक ठण्डे बस्ते में पड़ा रहा। फिर चटपट में मामूली संशोधन के साथ राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिये भेज दिया गया। श्री शुक्ल का कहना है कि यह कार्य किसानों को न्याय एवं राहत देने के उद्देश्य से नहीं लगाया गया है, बल्कि उदारीकरण एवं निजीकरण की प्रक्रिया को और गति देते हुये भू-बाजारीकरण की वैश्विक प्रक्रिया का विश्वस्त हमराही बनना है। इसके अलावा सभा को जिलाध्यक्ष पारसनाथ सिंह सहित अन्य वक्ताओं ने सम्बोधित किया। अन्त में मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित 2 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन खण्ड विकास अधिकारी को सौंपा गया जहां विकास खण्ड बक्शा की संघर्ष समिति की घोषणा की गयी। धरनासभा की अध्यक्षता बसंत यादव एवं संचालन प्रवीण शुक्ल ने किया। इस अवसर पर संयोजक इन्दू शुक्ल, श्रीपति सिंह, रामफेर यादव, रविशंकर उपाध्याय, रवीन्द्र नाथ दूबे, नन्द लाल मौर्य, महेन्द्र प्रताप यादव, दल सिंगार मौर्य, दूधनाथ बिन्द आदि उपस्थित रहे।
