फ़िल्मी दुनियाँ का चमकता सितारा है शादाब अख्तर


आगे से राइट‘ ‘मेरी लाइफ में उसकी वाइफ‘ उमंग और हाल में प्रदर्शित फिल्म ‘बम्बू‘ के आइटम सांग ‘ना मैं शीला वीला ना मैं कोई बिल्लों‘ से एकाएक चर्चा में आए शादाब अख्तर आज के युवा शायर व गीतकार है, जिन्हें हर तरह के गीत और गजल लिखने में महारत हासिल है और जो हिन्दी सिनेमा के संगीत जगत में अपने गीतों के माध्यम से तेजी से अपनी पहचान बना रहें हैं। इनके द्वारा लिखे गीतों के अब तक ..... आशा भोसलें, उदित नारायण, सुनिधि चैहान, कैलाश खेर, अलका याज्ञानिक, रूप कुमार राठौर, सपना मुखर्जी, मीका, दीपिका भट्टाचार्य, जावेद अली, संजीवनी, जुबिन गर्ग आदि तमाम मशहूर गायकों ने अपनी आवाज दी है। शादाब अख्तर ने अपने फिल्मी जीवन के सफर की शुरूआत 2002-2003 में सहारा टीवी के ‘कागज की कुश्ती‘ नामक मेगा सीरियल के गीतों के साथ की, जिसके संगीतकार आज के जानेमाने संगीतकार सलीम सुलेमान थे, इसमें भाग्यश्री और गोविन्द नामदेव ने काम किया था। उ0 प्र0 के छोटे से शहर उन्लाव के मुल्तान तरफ के निवासी श्री शमीम अख्तर के पाॅच संतानों में सबसे बड़े शादाब अख्तर की प्राथमिक शिक्षा उन्नाव के ही सिस्टर कान्वेंट, सेंट मेरी इंग्लिश हाई स्कूल और राजा शंकर सहाय इण्टर कालेज में संपन्न हुई। उनकी माता जी श्रीमती जरीना बेगम ‘पारा‘ के जमींदार घराने से है। फिल्म और संगीत के प्रति शादाब का लगाव बचपन से ही था या यूं कहिये कि विरासत में ही मिला है। शादाब के नाना श्री अश्वाक हुसैन ‘अश्वाक‘ यूपी के मशहुर और जाने माने शायरों में शुमार किए जाते है। शादाब वैसे तो सभी गीतकारों को आदर और सन्मान की दृष्टि से देखते है लेकिन ‘साहिर लुधियानवी‘ से काफी प्रभावित है। वो आनंद बख्शी, जावेद अख्तर और गुलजार को नायाब गीतकार मानते है।

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