काबीना मंत्री से आजिज महिला मुख्यमंत्री के समक्ष करेगी आत्मदाह


    जौनपुर। सूबे की सपा सरकार जहां एक तरफ उत्पीड़न के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कहती रहती है, वहीं दूसरी तरफ इसी सरकार के एक काबीना मंत्री एवं आये दिन में सुर्खियों में रहने वाले उनके पुत्र द्वारा एक महिला के करोड़ों की सम्पत्ति को फर्जी खतौनी के आधार पर अपने ही एक नौकर के नाम बैनामा करा लिया गया जबकि उक्त जमीन पर पारित आदेश एवं मालिकाना हक पीडि़ता के नाम है परन्तु काबीना मंत्री एवं उनके मनबढ़ पुत्र ने बीते 22 जून 2013 को अपने पद एवं ऊंची पहुंच का दुरूपयोग करते हुये उक्त जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। यह मामला शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के मरदानपुर मोहल्ले की है जहां की निवासी उषा देवी पत्नी राज बहादुर के अनुसार उक्त जमीन धारा 145/146 के अन्तर्गत कुर्क है। इसकी शिकायत प्रदेश के महिला आयोग, लोकायुक्त, मुख्यमंत्री सहित सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लिखित रूप से किया गया परन्तु आज तक मंत्री एवं उनके पुत्र के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई और न ही उनका कब्जा उक्त जमीन से हटवाया गया। पीडि़ता की मानें तो मंत्री जी एवं उनके पुत्र द्वारा सम्बन्धित अधिकारी के ऊपर दबाव बनाकर अपने पक्ष में आदेश कराने के अलावा पीडि़ता व उसके परिवार को जान से मारने व फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी लगातार दी जा रही है। पीडि़ता ने कहा कि यदि उपरोक्त मामले में अतिशीघ्र न्याय नहीं मिला तो वह सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर आत्मदाह करेगी। पीडि़ता का कहना है कि लोकायुक्त एवं मुख्यमंत्री इस बात की जांच करायें कि मंत्री के नौकर को करोड़ों की सम्पत्ति खरीदने की हैसियत है कि नहीं। पीडि़ता के अनुसार सभी कागजात उसके पक्ष में होते हुये भी मंत्री जी उक्त जमीन पर जबर्दस्ती कब्जा किये हैं
जिसमें जिला प्रशासन भी बखूबी साथ निभा रहा है। बकौल उषा देवी उसके पिता खदेरन निवासी पचहटियां थाना लाइन बाजार की हत्या में हो गयी थी जिसमें 4 सितम्बर 2002 को हत्यारोपी को आजीवन कारावास हुई। 20 सितम्बर 2007 को सिविल जज जू.डी. चतुर्थ ने हत्यारोपी को उत्तराधिकार से वंचित करते हुये मृतक की पुत्रियां उषा देवी एवं निर्मला देवी के पक्ष में निर्णय दिया जिसे उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा। 4 दिसम्बर 2002 को उपजिलाधिकारी सदर न्यायालय से उक्त जमीन सुरक्षित रखने के लिये कुर्क कर दी गयी। बावजूद इसके मंत्री एवं उनके पुत्र ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुये फर्जी खतौनी के आधारपर 11 फरवरी 2013 को अपने नौकर के नाम उक्त जमीन की रजिस्ट्री करा ली। इतना ही नहीं, 22 जून 2013 से जमीन पर अवैध कब्जा भी कर रखा गया है।

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