बस एक दिया को जलने दो ............

SEEMA SINGH

मेरी कलम की दस्तक़,,,, 
तम तेरी कलिमा बिखरी है                                                                      
अब रात अंधेरी  निख्ररी है
तुम कउछ ना कहो..
तुम कुच ना करो
बस एक दिया को जलने  दो
कुछ तुक्रा रौश्नि रह्ने दो
कुछ तुक्रा रऔश्नि रह्ने दो
पथ सब के ज़ुदा है आज के दिन
कब रुका वक़्त है किसी के बिन
कभि बिलग हुये कभी साथ चले
कुछ और कदम हमे चल् ने दो
कुछ तुक्रा रौसनी रह्ने दो
बेवाक, हवा जब चलती है
मुस्का के कुच कुछ कह्ति है
ना बा न्ध सकोगे तुम मुझ को
हम निर्झर है हमे बह्ने दो
कुच तुक्रा रौश् नी रह्ने दो,,,

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