बुलन्द है जौनपुर का शिक्षा स्तर , राजनीत में खास रूचि नही रखते है यहाँ के लोग
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जौनपुर जिले के लोगो की मुख्य आजीविका कृषि पर आधारित है यहाँ के 80 फीसदी जनता खेती करके अपने बच्चो का पेट पालते चले आ रहे लेकिन तेजी से बढ़ती जनसख्या और घटती जमीनो के कारण इस जनपद के युवा अन्य महानगरो में नौकरी कर रहे है या अपना छोटा मोटा व्यापार कर बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। यह जनपद शिक्षा का बहुत बड़ा केद्र रहा है शर्की शासनकाल में यहां इराक, अरब, मिश्र, अफगानिस्तान, हेरात, बदख्शां आदि देशो से छात्र शिक्षा प्राप्त करने यहां आते थे। इसे भारत वर्ष का मध्युगीन पेरिस तक कहा गया है और शिराज-ए-हिन्द होने का गौरव भी प्राप्त हैं। आज भी यहाँ पर शहर से लेकर गांव-गांव तक इण्टर कालेज , डिग्री कालेज स्थापित है पूर्वांचल विश्वविद्यालय है। इन्ही कालेजो से शिक्षा लेकर छात्र देश के तमाम सरकारी संस्थाओ में उच्चपदो रहकर देश की सेवा कर ही रहे है भारी संख्या में विदेशो की धरती पर भारत का झंडा बुलंद किये हुए है यहाँ के लोगो की पहली प्राथमिकता है सरकारी नौकरी करने की दूसरी प्राथमिकता पर व्यापार व अन्य धंधो को देते है। यहाँ की आम जनता राजनीत में कोई खास दिलचस्पी नही दिखती है कुछ राजनितिक घराने और उनके दोस्त रिस्तेदारो को छोड़ दिया तो यहाँ जनता केवल चुनाव में ही थोड़ी बहुत रूचि लेती है।
जौनपुर में मोदी की लहर तो दिखाई पड़ रही है लेकिन राहुल फैक्टर पूरी तरह फ्लाफ है लेकिन टिकट बटवारे के बाद से मोदी की अंधी की रफ्तार में भी कमी दिखायी पड़ रही है। । फ़िलहाल आगे राजनीत क्या गुल खिलाएगी यह वक्त ही बतायेगा।
जौनपुर के चुनावी गेमचेंजर की भूमिका केवल दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद बसपा के बाहुबली सांसद धनन्जय सिंह निभा सकते है। धनन्जय जेल से छूटकर निर्दल भी चुनाव लड़ा तो भले ही खुद जीत दर्ज न कर पाये लेकिन भाजपा को पूरी तरह से पीछे कर सकते है बसपा और सपा के वोट बैंक में सेंधमारी करके सबकी नीद हराम कर सकते है।