
जौनपुर। युद्ध की विभीषिका ने विश्व शान्ति की इच्छा को जन्म दिया। सालफैरिनो में वर्ष 1859 के युद्ध में मृत और घायल सैनिकों की सेवा का भाव एक पहला हेनरी ड्यूमेंट के मन में जगा। उसने अपने कारोबार व व्यवसाय को त्याग कर मानवता की सेवा के लिये एक संस्था का गठन किया। कई बार नाम बदलने के बाद आज उसका नाम रेडक्रास हो गया है। हेनरी के जन्मदिन 8 मई को विश्व रेडक्रास दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज दुनिया के 158 देश इससे जुड़े हैं तथा इस संस्था को वर्ष 1917, 1944 एवं 1963 में नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। उक्त बातें विश्व रेडक्रास दिवस पर गुरूवार को आयोजित गोष्ठी में वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं ज्वाइंट रिपलेसमेंट सर्जन डा. विनोद कुमार ने कही। नगर के पालिटेक्निक चैराहे के निकट स्थित आशीर्वाद हास्पिटल में आयोजित गोष्ठी में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अंजू कन्नौजिया ने कहा कि पीडि़त मानवता की सेवा से बड़ा पुनीत कार्य कोई नहीं है। रेडक्रास दिवस पूरी दुनिया में 8 मई 1948 में विश्व रेडक्रास दिवस एक साथ मनाया गया। आज विश्व भर में लगभग 10 करोड़ वालंटियर इस आंदोलन में मानवता की सेवा में जुड़े हैं। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने कहा कि जब तक हम अपने अन्दर मानव सेवाभाव जागृत नहीं करेंगे तब तक हमारा जन्म पूर्ण रूप से सार्थक नहीं होगा। गोष्ठी का संचालन धर्मराज कन्नौजिया ने किया। इस अवसर पर मुहम्मद अजहर, प्रदीप कुमार, मनोज शर्मा, राहुल सिंह, प्रेम यादव, छोटू, सुनील कुमार, रामसकल प्रजापति, हरिनाथ गौतम, प्रवेश मिश्रा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।