गम्भीर पत्रकारिता के दिन लद गये साइबर मीडिया ने पसारा पांव !

जनपद में अन्तर जाल मीडिया शिराज ए हिन्द नें तहलका मचाते हुए एक वर्ष पुरा कर  लिया यह अन्तर जाल मीडिया ने जनपद  की खबरो के अलावा प्रदेश  व देश  को स्थान दिया धीरे-धीरे यह अपना एक अलग पहचान बना लिया ।बडे़ तुर्रम खां खबरो को अपडेट करते फिरते है अब क्या आया ।
एक समय था अखबार थके -थके लगते थे आज रंग मे रंग चहकते दिखाई देते है कारण तकनीक और बाजार की महत्ता के जादुई स्पर्श  ने उसका हालात ही बदल दिया । क्यो कि मीडिया भी बाजार की रणनीती का हिस्सा  बनता जा रहा है। आज तक यह है कि गम्भीर पत्र कारिता के दिन लद गये। क्यो की वैचारिक सामाग्री अखबारो को महगी साबित हो रही है इस लिए खर्चा घटाया जा रहा है सस्ता स्टाफ रेडिमेड सामाग्री का इस्तेमाल बढाया जा रहा है सीधे इन्टरनेट व वर्तमान अपना पांव  फैलाती जा रही साइबर मीडिया से सामाग्री चोरी की जा रही है। पत्रकार वह है जो कभी मजलूमो बे सहारो के लिए कलम चलाने का दम करता  था । अब  वह फील गुड के बारे मे निस्तित है अब पत्रकार नये फैशन को देख रहे । क्यो बाजार उसकी मुठ़ठी का मुरीद है ,इण्टरनेट टी, बी चैनल प्रिन्ट मीडिया के बाद अन्तर जाल मीडिया  ने अपना सिक्का जमाना शुरू कर दिया कारण अब आलम यह है उठाई गीरी ज्यादा हो गया है । पत्रकारिता  का कोई मानक तय नही है।आज के दौर मे निरक्षर भी पत्रकार है जिसमे पत्रकारिता का  स्तर गिरता जा रहा है इसका फायदा अन्य खबरो को परोसने वाली एजेंसी उठा रही है। भारत मे पत्रकारिता आजादी की कोख से पैदा हुई पहले अखबार आग उगलते थे उनके सवाल सुलगते थे आज अखबार सवाल दबाते है विवाद  सूलगाते है इस लिए उनकी कोई औकात नही बच रही है।न अखबारो की औकात है न  अखबार नवीसो की है। इस कदर हाबी अन्तर जाल  मीडिया दिखाई पड़ रही है कुछ हद तक कही-कही खबरो मे यह भी झुकती नजर आती है कुल मिलाकर पत्रकारिता पुर्ण रूप से  व्यवसायिक रूप धारण कर चुकी है। अब इसे बाहर निकाल पाना मुस्किल दिख रही है कल पत्रकार थे आज सम्पादक है विज्ञापन जुटाकर अखबार छाप कर खुद लोगो को थमा देते है पहले थे आज एक दर्जन नामचीन पत्रकार व सम्पादक का नाम कोई नही बता सकता । कारण सम्पादक कुछ राजनीतिक क्षेत्र या फिल्म जगत या उधोग जगत ,मे घुसकर चाँदी काट रहे हे कुछ है जो आज भी समाज को नई दिशा  देने का दम भरते है लेकिन  उन्हे आर्थिक तंगी रोक दे रही है लोग सही पड़ने से कतराते है झूठ को सच कहते है अखबार टी,बी इण्टरनेट के बाद अन्तर जाल मीडिया ने पांव  पसारा है ।घटना स्थल पर पत्रकार  कहर की तरह  टूट पढ़ते है खबर के लिए नही अपनी पहचान के लिए  क्यो कि आता ही नही नकल इण्टरनेट अन्तर जाल  मीडिया से  कर लेगे । अगर प्रिन्ट मीडिया ने अपने कर्तब्य कार्य में बदलाव नही किया तो अन्तर जाल मीडिया और हाबी हो जायेगी ।

                                                                                                फूलचन्द्र यादव
                                                                                            जिला संबाददाता  ( मान्यता प्राप्त )
                                                                                                   दैनिक मान्यवर जौनपुर

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