माँ के जयकारे के साथ शुरू हुआ दुर्गा प्रतिमाओ का विसर्जन
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यू तो दुर्गा पूजा महोत्सव पूरे बंगाल का प्रसिद्ध है, लेकिन जौनपुर का दुर्गा पूजा महोत्सव की अपनी अलग पहचान बना चुका है। अपने दामन में गंगा जमुनी संस्कृति को समेटे हुए यहां के नौ दिन के नवरात्र पूजा के बाद मां की प्रतिमाओं को एक साथ नाचते गाते विर्सजित को निकल पड़ते है, और आदि गोमती में मां को विर्सजित कर विदा कर देते है।
नौ दिनों शहर के सौ से ज्यादा पूजा पण्डालों में मां दुर्गा की अराधना करने के बाद शुक्रवार की रात्रि भक्तगण जब सड़कों पर मां की प्रतिमाओं को विर्सजित करने निकल पड़े तो पूरे शहर में कही पैर रखने को जगह नही बची थी। हर तरफ वस मां शेरावाली के गीत व गानों पर थिरकते भक्तगण वस मां की जयकारा करते दिखें, ना उन्हे गुजरती रात की परवाह थी ना ही कोई गम था, वो अपना सब कुछ न्यौछावार करने को तैयार थे। इनमे सिर्फ ना ही हिन्दू बल्कि बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई भी शामिल थे।
नौ दिनों शहर के सौ से ज्यादा पूजा पण्डालों में मां दुर्गा की अराधना करने के बाद शुक्रवार की रात्रि भक्तगण जब सड़कों पर मां की प्रतिमाओं को विर्सजित करने निकल पड़े तो पूरे शहर में कही पैर रखने को जगह नही बची थी। हर तरफ वस मां शेरावाली के गीत व गानों पर थिरकते भक्तगण वस मां की जयकारा करते दिखें, ना उन्हे गुजरती रात की परवाह थी ना ही कोई गम था, वो अपना सब कुछ न्यौछावार करने को तैयार थे। इनमे सिर्फ ना ही हिन्दू बल्कि बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई भी शामिल थे।