हर वक्त अपनी ही खामियों को निहारता हूँ मैं

हर वक्त अपनी ही खामियों को निहारता हूँ मैं, देखकर आयना उसमे, कुछ को निखारता हूँ मैं। गैरों के गिरहबान में झांकने की मेरी आदत नहीं, मगर नफरत फैलाने वालों को पहचानता हूँ मैं।
 डॉ अ कीर्तिवर्धन

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