नवजात शिशु के मौत का मामला पकड़ा तूल, डीएम ने दिया मजिस्ट्रेटी जाँच का आदेश

जौनपुर। स्वास्थ्य विभाग ने महज इस लिए एक मासूम को दुनिया में आने से पहले ही भगवान के पास भेज दिया कि मासूम के परिवार के पास प्रसव के लिए बारह हजार रूपये की रूकम नहीं थी। बक्शा थाना इलाके से जिला अस्पताल में प्रसव में आए पीडि़त परिवार ने प्रशासन से इंसाफ की गुहार लगाई तो डीएम ने तुरंत न्यायिक जांच करने के आदेश दे दिए। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साल 2015-2016 को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य वर्ष घोषित किया है। मुख्यमंत्री के इस कदम की जानकारी जब लोगों को हुई तो सभी का आस जगी कि अब उनके जच्चा और बच्चा की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। उनके स्वास्थ्य के लिए सरकार हर बेहतर कदम उठाएगी। लेकिन जौनपुर में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आइ कि मुख्यमंत्री को भी लगेगा कि उनका यह कदम सिर्फ एक कोरा मजाक तक ही है। जिले के स्वास्थ्य महकमें को इससे कोई लेना देना नहीं है। दरअसल बक्शा थाना इलाके के हिलाली गांव से उषा को इसका परिवार प्रसव के लिए जिला महिला अस्पताल लेकर आया। अस्पताल पहुंचने पर वहां मौजूद डाक्टरों ने उषा के पति से बताया कि उसकी हालत ठीक नहीं है। आॅपरेशन करना पड़ेगा जिसमें 12 हजार रूपए का खर्च आएगा। पैसा देने पर आॅपरेशन कर बच्चे को बाहर निकाला जाएगा। 12 हजार जैसी बड़ी रकम की बात सुनकर इस गरीब परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई। परिवार प्रसूता को लेकर वापस घर चला आया। वहां उषा की तबीयत फिर बिगड़ी तो परिवार ने आनन फानन में उषा को आॅटो रिक्शा में सवार किया और जिला अस्पताल की ओर भागा। लेकिन बदकिस्मती यह रही कि जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चा आधा बाहर आ गया और आधा भीतर ही रह गया। जब तक अस्पताल की नर्स आटो रिक्शा तक दौड़कर प्रसूता का संभाल पाती बच्चे ने दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत के बाद अस्पताल में हंगामा होने लगा। हर ओर इस लापरवाही की आलोचना शुरू हो गई। लेकिन स्वास्थ्य महकमा नींद से नहीं जागा। पूरा परिवार चिल्लाता रहा सीएमओ और सीएमएस की चैखट पर हाथ जोड़े मिन्नतेें करता रहा लेकिन अस्पताल का कोई भी अधिकारी पीडि़तों का हाल जानने नहीं आया। मामला जिला अधिकारी को पता चला तो वह लाव लश्कर के साथ अस्पताल आ धमके और स्वास्थ्य अधिकारियों की क्लास लेनी शुरू कर दी। अपने बीच डीएम को मौजूद देख पीडि़त परिवार को थोड़ी आस जागी। हाथ जोड़े परिवार ने डीएम से इंसाफ की गुहार लगाई और साथ ही यह भी विनती की कि उन्हें यहां इलाज नहीं कराना। उनकी मरीज को यहां से जाने दिया जाए। क्योंकि सरकारी लापरवाही ने एक जान तो ले ली है अब दूसरी की कुर्बानी वो नहीं चाहते। परिवार का दुखड़ा सुनने के बाद डीएम ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए मजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दे दिए। इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं है बल्कि जौनपुर में आए दिन कोई न कोई परिवार स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही का शिकार होता है। बाद में सिर्फ जांच की चादर पहना कर पूरे मामले का रफा दफा कर दिया जाता है।

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