झोला में मदरसे, बच्चों का पता नहीं

जौनपुर। तेजी से मिल रही मदरसों की मान्यता का शिक्षा माफिया जमकर लाभ उठा रहे हैं। कई दर्जन चल रहे मदरसों में कई का तो अता पता ही नहीं है। फिर भी मदरसे चल रहे है और मान्यता लेने वालों की होड़ लगी हुई है। कहा जा रहा है कि मदरसों में केन्द्र से मिलने वाली छात्रवृत्ति की वजह से लोग मदरसों की मान्यता लेने के लिए अमादा हो गये हैं। केन्द्र सरकार ने मदरसों को खुलकर अरबी फारसी का ज्ञान बढ़ाने के लिए मदरसों को प्राथमिकता दी है। सरकार हर ंसभव सुविधा मदरसो को प्रदान कर रही है। अन्य शिक्षण संस्थानो से अधिक सुविधा मदरसों को प्रदान की जा रही है। अधिक जांच पड़ताल न होने के कारण शिक्षा माफिया मदरसों पर ध्यान दे रहे है। महत्वपूर्ण है कि सरकार त्रिभाषा की तरह मदरसों में भी दो अध्यापक आधुनिकी करण के तहत अनुमोदन करती है। इसका भी एक बड़ा कारण हो सकता है। मदरसों की मान्यता के लिए लग रही भीड़ को देखते हुए लोगों का कहना है कि मानक के अनुसार मदरसों की मान्यता होनी चाहिए। जो मदरसे बन्द है उनकी गहराई से जांच हो। जो मदरसे मानक के अनुसार नहीं चल रहे है। उनकी जांच कर कार्यवाही हो ताकि सरकार द्वारा दी जा रही छात्रवृत्ति का दुरूपयोग न हो। बताया जाता है कि अधिकतर लोग एक स्कूल में मदरसा चला लिया जाता है और उसी में स्कूल के बच्चे भी पढ़ते है। बाइलाज के हिसाब से किसी मदरसे की मान्यता के लिए सोसायटी रजिस्ट्रेशन के साथ अध्यापकों की सूची, भवन का नक्शा, भवन का किराया नामा, मान्यता के लिए 300 स्वायर फीट के तीन हाल, कार्यालय, खेल का मैदान आदि की तरीके की व्यवस्था होनी चाहिए।

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