मोदी सरकार की सालगिरह पर सांसद आदर्श ग्राम योजना का सच

प्रभुनाथ शुक्ल 
पीएम का गांव जयापुर चमका, कौलापुर का विकास लटका
सांसद आदर्श ग्राम योजना में नहीं दिखता अभी तक विकास
पीएम की परिकल्पना को मुंह चिढ़ानेे में लगे नंगे विद्युत पोल
आदर्श ग्राम की संकल्पना को साकार करना संभव नहीं लगता
नारियल फोड़ने के बाद विकास का पहिया अभी तक नहीं बढ़ा

भदोही। देश के अवाम ने जब 2014 के आम लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को खुले मन से सत्ता की बागडोर सौंपी थी। लोगों ने बदलाव का एक सपना देखा था, लेकिन सरकार स्थापना के बाद साल भर बाद भी ग्रामीण विकास के संदर्भ में सबका साथ सबका का विकास की संकल्पना मूर्त रुप लेती नहीं दिखती है। स्वच्छ भारत, नमामि गंगे, मेक इन इंडिया जैसे कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में सरकार की एक खास योजना सांसद आदर्श ग्राम योजना थी। इस योजना के तहत ज्ञानपुर विधान सभा के कौलापुर को भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने चुना था। लेकिन विकास का यहां कोई अतापता नहीं है। आंखे फाड-़फाड़ कर देखने के बाद भी मोदी की कल्पना यहां साकार होती नहीं दिखती है। इस गांव को इसलिए चुना गया था कि आम चुनावों में इसी गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा हुई थी। यह गांव राष्टीय राजमार्ग-दो पर पड़ता है। लेकिन विकास के नाम पर यहां नारियल फोड़ने की याद अभी भी ग्रामीणों के जेहन में ताजा है। सिर्फ यहां विद्युत पोलों के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता है। लेकिन पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव की तग्दीर और तस्वीर दोनों बदल गयी है। गुजरात की स्वयंसेवी संस्थाएं उस का हुलिया बदल दिया है। जयापुर आज की तारीख में गुजरात का पुंसारी गांव बन गया है। जिसकी कल्पना के आधार पर मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी। सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री के गांव में गुजरात की स्वयंसेवी संस्थाएं अपनी दक्षता को उडे़ल दे रही हैं , लकिन बाकि गांव विरान पड़े हैं। दूसरे दलों के सांसदों की बात छोडि़ए भदोही सीट खुद भाजपा की झोली में है। लेकन जयापुर जैसी तीव्रता कौलापुर में नहीं दिखाई जा रही है। बाकि हंडिया और सुरियावां के जिस कैड़ा गांव को चुना गया है उसका विकास कब होगा। यह अपने आप में सवाल है। यह स्वयं अपने आप में सरकार और उसकी नीतियों की विसंगति है। जयापुर में विकास की जिम्मेदारी 52 विभागों को सौंपी गयी है। लेकिन भदोही में उर्जा विभाग की गति उबाऊ है। इससे इस पूरी योजना पर ही सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। 
भाजपा संासद की ओर से चयनित यह गांव राष्टीय राजमार्ग-दो और वाराणसी-इलाहाबाद रेलखंड के मध्य पड़ता है। यह जिले के डीघ विकास खंड का हिस्सा है। ग्रामीणों की व्यथा को सच माने तो उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी से जो उम्मीदें थी वह धराशायी हो गयी हैं। विकास के अन्य हिस्सों में चाहे जितनी प्रगति हुई हो, लेकिन सांसाद आदर्श ग्राम योजना के तहत अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। गांव में बिजली के पोल भर गाड़ दिए गए हैं। लेकिन इसके बाद कोई विकास नहीं हुआ है। जल निकासी के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है। पुरानी योजनाओं की तहत जो हैंडपंप लगे हैं उसमे कई बेकार पड़े हैं। भीषण गर्मी में लोगों को पानी का संकट झेलना पड़ रहा है। सांसद विकास निधि से सौर उर्जा की रोशनी भी उपलब्ध नहीं हो पायी है। गांव की सड़क एक दम ध्वस्त है। इस गांव में सांसद आदर्श ग्राम योजना की कोई परिकल्पना साकार होती नहीं दिखती है। गांव के श्यामधर मिश्र, राजन शर्मा ने बताया है कि मोदी जी से बहुत उम्मीदें जगी थी लेकिन साल भर बीत जाने के बाद भी हमारे गांव में कोई विकास नहीं हुआ। वहीं महेश यादव और विनादे ने बताया है कि गांव में जल निकासी की सुविधा नहीं है। नालियों में पानी बजबजाता रहता है। हैंडपंपों में प्लटफार्म भी नहीं बना हैं हलांकि अभी सांसद निधि से कोई विकास नहीं दिखता है। यह पिछली योजनाओं में हुआ है। बिजली की हालत खस्ता है। गर्मी में लोगों को हर साल की तरह झेलनी पड़ रही है। गांव की सड़क भी क्षतिग्रस्त हो चली है। आदर्श ग्राम योजना में नंगे विद्युत खंभों के अलावा कुछ नहीं दिखता हैं। उस पर बिजली के तार भी नहीं खींचे गए हैं। सरकार ने चुनावों के दौरान जो वादा किया था। उस पर विकास खरा नहीं उतरता दिखता है। जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि भदोही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय सीट वाराणसी का सहोदर है। वाराणसी से अलग होकर भदोही का निर्माण हुआ है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के जिस जयापुर गांव को गोद लिया है उसकी तग्दीर बदल गयी है। छह माह में ही उस गांव विकास और उसके माडल को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है। लेकिन इस तरह दूसरे गांवों का विकास क्यों नहीं हो रहा है। उस गांव के विकास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। जबकि यह खुद भाजपा सरकार की योजना है। पीएम के गांव जयापुर जैसा कौलापुर का विकास क्यों नहीं हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है की जयापुर के बारे में अखबारों में जो खबरें आयी हैं वह चैंकाने वाली हैं। इतने कम समय में वहां सबकुछ बदल गया है। लेकिन इस योजना के तहत दूसरे गावों में इस तरह का आदर्श विकास क्यों नहीं दिख रहा है। अब वह गांव पहचान में ही नहीं आ रहा हैं। जबकि कौलापुर में यह जमीनी हकीकत नहीं है। एक की योजना को लेकर पीएम और सांसदों के गांव में विकास को लेकर अंतर क्यों हैं। यह समझ में नहीं आ रहा है। जिससे पूरे योजना पर ही सवालिया निशान बन लग गया है। लेकिन गांव के विकास को लेकर राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था से दो चार होना पडेगा। क्योंकि राज्य सरकार की ओर से खुद समग्र लोहिया ग्राम विकास जैसी योजनाएं चलायी जा रही हैं। यह योजना भाजपा सरकार की है। इसमें राज्य प्रशासन के विभिन्न विभाग विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे। जिससे मोदी सरकार की योजना खटाई में पड़ सकती है। भाजपा के नता भी इस बात को मानते हैं कि जिला प्रशासन विकास में भरपूर सहयोग के मूड में नहीं दिखता है। इस संबंध में सांस वीरेंद्र सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन वे बाहर थे। उनके निजी सचिव सोनी ने कहा कि सांसद जी बाहर है। आदर्श ग्राम कौलापुर और दूसरे गावों में क्या हुआ है इसका डाटा तैयार कराया जा रहा है। 26 जून को आपकों विकास का सारा प्रोजेक्ट उपलब्ध हो जाएगा। वहीं भाजपा के बरिष्ठ नेता शैलेंद्र दूबे उर्फ टुन्ना जी ने कहा कि आदर्श ग्राम में विकास का खाका तैयार हो चुका है। बिजली के लिए पोल लगा दिए गए हैं। तार और टासंफार्मर अभी उपलब्ध नहीं हो पाया है। जैसे ही उपलब्ध होता है। वहां विकास की सारी योजनाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। पूरे पांच साल तक इन गावों में कार्य होगा। आदर्श ग्राम कौलापुर, कैड़ा और हंडिया विस में चयनित गांव के विकास के लिए बड़ा प्राजेक्ट है।

वाई-फाई की सुविधा होगी उपलब्धः शैलेंद्र दूबे
भदोही। भाजपा के बरिष्ठ नेता शैलेंद्र दूबे उर्फ टुन्ना ने बताया है कि आदर्श ग्राम कौलापुर के विकास का खाका तैयार कर लिया गया है। गांव में बिजली के पोल गाड़ दिए गए हैं। अभी तार और टांसफार्मर उपलब्ध नहीं हो सका है। जैसे ही यह सुविधा उपलब्ध होती है। बिजली दौड़ने लगेगी। गांव में आरो का पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव तैयार है। जल्द ही ग्रामीणों को शुद्ध पानी की सुविधा मिलेगी। शिक्षा के सर्वांगीण विकास के लिए प्रथम संस्था से संपर्क किया गया है। वह जिले के 60 गावों में प्राइमरी एजुकेशन की शुरुवात करेगी। सबसे पहले डीघ ब्लाक को लिया गया है जिसमें सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का आदर्श गांव कौलापुर शामिल है। गांव में युवाओं की सुविधा के लिए वाईफाई की सुविधा जल्द उपलब्ध होगी। डेयरी की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाएगी। ग्रामीणों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। गांव में जल्द ही सौर उर्जा की सुविधा उपलब्ध होगी। जिले भर में यह कार्यक्रम चल रहा है। संपर्क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आंगनबाड़ी के अलावा नैतिक विकास की सारी सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। लेकिन उन्होंने यह बात स्वीकारी है कि जिला प्रशासन का रवैया सहयोगात्मक नहीं है। जिससे विकास में गतिशीलता नहीं दिख रही है। प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा है।
क्या है आदर्श ग्राम योजना
भाजपा और मोदी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण भारत की परिकल्पना को साकार करना है। योजना के निर्माण में महत्मागांधी की आदर्श ग्राम योजना को अधिक तवज्जों दी गयी है। उनकी कल्पना को आधारभूत मुकाम दिलाने के लिए यह योजना प्रारम्भ की गयी है। लेकिन यह धरातल पर फलीभूत नहीं दिखती है। इसकी शुरुवात 11 अक्तूबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से की गयी थी। योजना के तहत सांसदों को एक गावों को चुनना था। उसमें विकास की सारी संभावनाएं विकसित करनी हैं। चयनित उस गांव का 2016 तक संपूर्ण विकास करना है। फिर 2019 में दो और गांवों का चयन किया जाना है। इस तरह देश भर के छह लाख से अधिक गांवों में से 2,500 को आदर्श गांव बनाना है। लेकिन यह संभव नहीं लगता है। यह योजना माडल और ग्रामीणों के नैतिक जीवन मूल्यों से जुड़ी है।
आदर्श गांव की परिकल्पना
इस योजना में जिस आदर्श गांव की परिकल्पना की गयी है। वह संभव नहीं दिखती है। पीएम के गांव जयापुर में भले यह जमीनी हकीकत में बदल रही है। लेकिन देश के दूसरे हिस्सों में यह सपना साकार नहीं हो सकता है। क्योंकि जिस आधार की विकास संकल्पना की गई है वह सांसद निधि से संभव नहीं है। जयापुर में गुजरात की स्वयंसेवी संस्थाएं विकास की जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह दूसरे आदर्श गांवों के लिए संभव नहीं है। क्योंकि पीएम के गांव में जहां कल तक ईंट का खंडजा उपलब्ध नहीं था वहां आज आलीशान आंगनबाड़ी केंद्र है। गरीबों के लिए आधुनिक माडल का मकान और संपर्क मार्ग पर चमकती टाइल्स है। इस योजना का मूल उद्देश्यम गांव का समग्र विकास, बुनियादी सुविधाओं में सुधार, उच्च उत्पादकता, लैंगिंग असमानता का दूर करना। पर्यावरण, स्वच्छता के अलावा आजिविकास के समान अवसर, अधिकारों की प्राप्ति, सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक समृद्धि शामिल है।
गांधी जी का आदर्श गांव
राष्टपिता महात्मा गांधी ने किस तरह आदर्श ग्राम की परिककल्पना की थी। उनके विचार में ग्राम स्वराज क्या था। उस विचार को भी मोदी सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की गाइड लाइन में शामिल किया है। गांधी जी के विचारों में आदर्श गांव की परिभाषा कुछ इस तरह थी। ‘‘आदर्श भारतीय गांव इस तरह बना हो कि वह पूर्णतः स्वच्छ हो। उस गावं के आस-पास पांच मील की परिधि में उपलब्ध सामाग्री से बने कुटीरों में पर्याप्त रोशनी और हवा के आवाजाही की पर्याप्त व्यस्था होगी...गांव के रास्तों और गलियों में कोई धूल मिट्टी न होगी। गांव में आवश्यकता अनुसार कुएं होंगे और उनका जल सभी के लिए उपलब्ध होगा। गांव में सभी के लिए प्रार्थना स्थल होगा। सार्वजनिक बैठक स्थल, पशुओं के लिए सार्वजनिक चारागाह, सहकारी डेयरी, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल होंगे, जिनमें औद्योगिक शिक्षा मुख्य घटक होगी और इस गांव में विवादों के समाधान के लिए पंचायतें होंगी। गांव के लिए खाद्यान्न, सब्जियों फलों और खादी का उत्पादन भी गांव में ही होगा। मोटे तौर पर आदर्श गांव का मेरा विचार तो यही है।‘‘ यह बात महात्मा गांधी की ओर से 1937 में कहीं गयी थी। आदर्श ग्राम योजना की संकल्पना में गांधी जी के इस विचार को प्रमुखता दी गयी है। सवाल यह कि यह कल्पना क्या संभव है जबकि सांसद आदर्श ग्राम योजना के विकास का दस फीसदी कार्य भी नहीं हो पाया है। आदर्श ग्राम की परिभाषा क्या बिजली, पानी, सड़क और रोशनी है। आदर्श ग्राम की सरकार कल्पना धरातल पर संभव नहीं दिखती है। क्योंकि बाकि विकास राज्य प्रशासन के जिम्मे होगा। जबकि वहां केंद्र से विलग सरकार हो सकती है। उत्तर प्रदेश इसका उदाहरण है।
आदर्श ग्राम का मूल उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदर्श गांव की अवधारणा को चार भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें व्यक्तित्व विकास, सामाजिक विकास, मानव विकास और आर्थिक विकास शामिल है। व्यक्तिगत विकास और नैतिकता को बनाए रखना। साफ सफाई, सांस्कृतिक विरासत और व्यवहार शामिल है। मानव विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा की बात है। तीसरे आर्थिक विकास में आजिविका, कौशल विकास, वित्तीय समावेषण और बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता शामिल है। जबकि सामाजिक विकास में स्वयंसेवा, सामाजिक मूल्य, सामाजिक न्याय और सुशासन को शामिल किया गया है। आदर्श ग्राम क्या है। सरकार की निगाह में इसकी परिभाषा क्या है। इसके लिए सरकार को चाहिए की केंद्रीय स्तर पर जो नियमावली तैयार किया है। उसे आम लोगों को उपलब्ध कराया जाए। जिससे लोगों में आदर्श ग्राम और उसकी परिकल्पना के विषय में जागरुकता आए। इससे आम आदमी में मोदी सरकार की मंशा के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ेगा।


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