क्या हम मीडिया द्वारा शासित हो रहें है ?
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पिछले कई दिनों
से प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक दोनों मीडिया में इन्द्राणी मुखर्जी को बहुत कवरेज मिल
रही है | यदि इस समाचार पर गौर करें और उसके सारे पहलुओं को समझे तो क्या आपको यह
नहीं लगता की यह हमारे लिये महत्वपूर्ण तो छोड़िये सुनने तक की भी बात नहीं है | इस
देश में जहाँ हजारों लोग रोज किसी न किसी कारण से या तो मरते है, या फिर आत्महत्या
करते है, या फिर मार दिये जाते है, इनमे बहोत सारे ऐसे केस होते है, जिन्हें अगर
मीडिया उजागर करें तो उन्हें न्याय मिल पाये, पर कितने ऐसे केस सार्वजानिक हो
पातें है ? यह कहने की जरुरत नहीं न ही लिखने की जरुरत | क्या इन्द्राणी मुखर्जी
आप, हमसब के लिये इस लिये चर्चा का विषय नहीं है, क्योकि मीडिया ने उसे सर आँखों
पे चढ़ा रखा है ? आइये निचे दिए गए विवरण से जरा देखते है की वास्तव में पूरा माजरा
क्या है |
उपरोक्त विवरण
देखकर आप निसंदेह समझ गये होंगे की इस तरह की घटनाओ और स्त्रियों को हम सब क्या
कहते है ? और क्या समझते है ? क्या यह नहीं लगता की इस केस को इतने बड़े पैमाने पर
कवरेज मिलने के पीछे कई लोगों, बड़े - बड़े व्यवसायी और राजनेताओं का निजी स्वार्थ
भी हो सकता है | आज का समाज मीडिया से चलता है और कटु सत्य यह है कि जो दिखता है
वही बिकता है | शायद इसी लिये सब को दिखाने की पड़ी है | सरकार और समाज को अब
जागरूक होने और कठोर निर्णय लेने का सही समय आ गया है, की वह सही और गलत का विरोध
करें और मीडिया के द्वारा प्रदर्शित चीजो को सत्य न मानकर अपने विवेक से उसका
मूल्यांकन करें और सरकार मीडिया घरानों और प्रसारित होने वाले प्रत्येक
कार्यक्रमों का मानक सुनिश्चित करें, नहीं तो देश को बर्बाद होने से कोई भी नहीं
रोक सकता कोई भी | यदि हम समय रहतें नहीं जागे तो आने वाले
दिनों में हम चाहकर भी जाग नहीं पायेगे और हम गुमराह होतें रहेंगे | और दुनिया के
कुछ ताकत वर्ग यही चाहता है की कैसे हमें मानसिक गुलामी के जंजीरों में जकड़ सकें |