गोमती में बिछ गया है ग्रीन कारपेट, नदी के अस्तित्व को खतरा
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जौनपुर। आदि गांगा गोमती का अस्तित्व पर पूरी तरह से खतरे का बादल मडराने लगा है। पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से जल कुम्भी और सीवार ने गोमती मईया को इस कदर जकड़ लिया है जैसे पूरे नदी में ग्रीन कारपेट बिछा दिया गया है। पर्यावरण विद् के अनुसार अब गोमती को पूरी तरह से प्रदूषण ने आपने आगोश में ले लिया है। वैज्ञानिको की माने इस समय गोमती का पानी पीने से पेट की विमारी लीवर कैंसर और ब्रेन हैमरेज हो सकता है।
पीलीभीत जिले से निकलकर गाजीपुर जिले में गांगा की जलधारा में पूरी तरह से समाहित होने वाली आदि गंगा गोमती किसी जमाने में जौनपुर नगरवासियों की लाइफ लाईन हुआ करती थी। लेकिन इधर कई वर्षो से कम हो रही बारिश और शहरो का बहना वाला गंदे नाले का पानी फैक्टरियों से निकलने वाला कुड़ा कचरा इस नदी में बहाये जाने के कारण अमृत माने जाने वाली इस नदी का पानी अब जहरीला हो गया है।
वीर बहादुर सिंह पूर्वाचंल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा0 सुधीर कुमार उपाध्याय ने शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम से बताया कि मौजूदा समय में नदी में जलकुम्भी और सेवार ने अपना पैर पसार दिया है। यह नदी के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है। उन्होने बताया कि इस सेवार और जलकुम्भी ने जहां जलीय जीव जंतुओ के मौत का सबब बन सकती है वही नदी के गहरायी को कम कर देगी। साथ में इससे पानी का टीडीएस काफी बढ़ गया है और मेटल्स, आरसेनिक ,ब्लेड और लेड नाईट्रोजन फासफोरस तेजी से बढ़ेगा। जिसके कारण नदी का पानी जहरीला हो रहा है। मेटल्स आरसेनिक ब्लेड और लेड जमीनी पानी तक पहुंच गया है। जिसके कारण नदियों के किनारे लगे हैण्ड पम्प का पानी भी प्रदूषित हो गया है। इस हैण्ड पम्पो के पानी पीने वाले पेट के रोगी होने के साथ लिवर कैंशर और ब्रेन हैमरेज जैसी गम्भीर विमारियों के चपेट में आ सकते है।
गोमती नदी आगे जाकर गाजीपुर जिले के कैथी गांव में गांगा की जलधारा में पूरी तरह से समाहित हो रही है जिसके कारण यह नदी गंगा को भी प्रदूषण कर रही है।
पीलीभीत जिले से निकलकर गाजीपुर जिले में गांगा की जलधारा में पूरी तरह से समाहित होने वाली आदि गंगा गोमती किसी जमाने में जौनपुर नगरवासियों की लाइफ लाईन हुआ करती थी। लेकिन इधर कई वर्षो से कम हो रही बारिश और शहरो का बहना वाला गंदे नाले का पानी फैक्टरियों से निकलने वाला कुड़ा कचरा इस नदी में बहाये जाने के कारण अमृत माने जाने वाली इस नदी का पानी अब जहरीला हो गया है।
वीर बहादुर सिंह पूर्वाचंल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा0 सुधीर कुमार उपाध्याय ने शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम से बताया कि मौजूदा समय में नदी में जलकुम्भी और सेवार ने अपना पैर पसार दिया है। यह नदी के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है। उन्होने बताया कि इस सेवार और जलकुम्भी ने जहां जलीय जीव जंतुओ के मौत का सबब बन सकती है वही नदी के गहरायी को कम कर देगी। साथ में इससे पानी का टीडीएस काफी बढ़ गया है और मेटल्स, आरसेनिक ,ब्लेड और लेड नाईट्रोजन फासफोरस तेजी से बढ़ेगा। जिसके कारण नदी का पानी जहरीला हो रहा है। मेटल्स आरसेनिक ब्लेड और लेड जमीनी पानी तक पहुंच गया है। जिसके कारण नदियों के किनारे लगे हैण्ड पम्प का पानी भी प्रदूषित हो गया है। इस हैण्ड पम्पो के पानी पीने वाले पेट के रोगी होने के साथ लिवर कैंशर और ब्रेन हैमरेज जैसी गम्भीर विमारियों के चपेट में आ सकते है।
गोमती नदी आगे जाकर गाजीपुर जिले के कैथी गांव में गांगा की जलधारा में पूरी तरह से समाहित हो रही है जिसके कारण यह नदी गंगा को भी प्रदूषण कर रही है।