ग्रिड प्रणाली से लिया गया मृदा नमूना, 10 साल तक उपलब्ध रहेगा रिकार्ड

काशी विद्यापीठ (वाराणसी ) मिट्टी की जांच मे अब उपग्रहों का सहारा लेने के साथ ही ग्रिड प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। गाँव के नक्शे का चार सेमी सीधा - तिरछा मोड़ पर जो ग्राफ बनेगा । दोनों अस्थान को काटने वाली जगह को ही ग्रिड कहते है। इस ग्रिड के पास वाले प्रक्षेत्रों से नमूना लेकर मिट्टी की जांच की जाएगी। जलवायु मे होने वाले परिवर्तन पर उपग्रह से नजर रखते हुए उस क्षेत्र मे बोई जाने वाली फसल व उनके अनुरूप उर्वरक की मात्रा का निर्धारण भी 10 वर्षो तक आनलाइन रहेगा। जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी दिया जाएगा जिसके आधार पर ही किसान सन्तुलित उर्वरकों का प्रयोग कर कम लागत मे वेहतर उत्पादन लेकर स्वच्छ वातावरण मे कृषि का सतत् विकास कर अपनी समृद्धि कर सकते है। उक्त बाते बुद्धवार को क्षेत्र के फरीद गाँव मे मृदा दिवस के अवसर पर किसानों को सम्बोधित करते हुए कृषि तकनीकी सहायक रमेश चंद्र यादव ने कही। उन्होंने कहा कि पहले किसान अपने किसी भी खेत के नमूने की जांच कराता था जिससे गाँव के समग्र मिट्टी की जांच नही हो पाती थी। इस नई विधि के प्रयोग से मिट्टी की सेहत पर पल - पल की सटीक जानकारी रखी जा सकेगी। यह जांच पूर्णतया निः शुल्क होगी।
इस मौके पर प्रधान रविनंदन ,किसान सहयोगी दिलीप सिंह , प्रशान्त सिंह , अजय गौड़ , जितेन्द्र राय , राम जी मौर्य , अजय कुमार , विकास मौर्य सहित दर्जनों किसान मौजूद रहे।

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