जंगली सूअर के हमले से युवक जख्मी, ग्रामीणों ने वन सूअर को पीटकर मार डाला
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सुइथाकला। सरपतहां थाना क्षेत्र के सुईथाकला
गांव मे मजदूरी कर रहे श्रमिकों के ऊपर जंगली सूअर ने हमला बोल दिया जिससे दो
युवक घायल हो गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के शाहमऊ निवासी
शंकर पुत्र दयाराम व सन्दीप पुत्र चन्दे उक्त गांव में मजदूरी का काम कर रहे
थे। दोपहर के समय दोनों युवकों को अकेला पाकर बनसूअर ने उनके ऊपर हमला कर दिया
जिससे शंकर गंभीर रूप से घायल हो गया, मदद के लिए चिल्लाने पर भारी संख्या
में ग्रामीण वहां पहुंच गए,और दोनों युवकों की जान बचाई। ग्रामीणों ने जंगली
सूअर को पीट पीटकर मार डाला। जख्मी युवक का उपचार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
सुइथाकला में कराया गया। क्षेत्र में बढ़ रहे जंगली सुअर के आतंक से लोग
भयग्रस्त हैं। विकलांग से रूपया लेकर लगाया एण्टी रैबीज
जौनपुर । मानवीय संवेदना को तार तार करते हुए नियम कानून की धज्जियां
उड़ाते हुए बदलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एण्टी रैबीज इन्जेक्शन
के नाम पर जहां सैकड़ों रूपये वसूले जा रहे हैं वहीं इस इन्जेक्शन के लिए
गरीब परेशान हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साामुदायिक
स्वास्थ्य केन्द्र पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में कुत्ता एवं अन्य जंगली
जानवरों के काटने के उपरान्त ग्रामीण एण्टी रैबीज का इन्जेक्शन लगवाने
आते हैं तो उनसे ढाई से तीन सौ रूपये वसूले जाते हैं जो रकम देने में
असमर्थता जाहिर करता है तो उसे डांटककर भगा दिया जाता है। हद तो तब हो
गयी जब एक गरीब और विकलांग व्यक्ति से तीन सौ रूपये वसूल लिये गये । इस
बात की जानकारी विकलांग ने गण्यमान्य नागरिकों को दी तो उन्होने इसकी
शिकायत जिलाधिकारी से करने को कहा। सरकार द्वारा गरीबों और आर्थिक रूप से
निर्बल लोगों के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में एण्टी रैबीन इन्जेक्शन
निःशुल्क लगवाने की व्यवस्था की गयी है लेकिन फार्मासिस्ट और
चिकित्साधिकारी इसे अपने कमाई का जरिया बना लिये है। पचास हजार से अधिक
का वेतन पाने वाले गरीबों और विकलांगों से रूपये वसूल रहे हैं लेकिन
उन्हे शर्म नहीं आ रही है। बताते हैं कि उक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर
फार्मासिस्ट दिलीप मिश्रा और अमरजीत गौतम चिकित्साधिकारी एससी वर्मा के
सह पर भ्रष्टाचार का खुला खेल रहे है। स्वास्थ्य केन्द्र के मरीजों ने
बताया है कि उन्हे अस्पताल से कोई भी सामान नहीं मिलता यहां तक कि सीरिंज
भी बाजार लाने के लिए कहा जाता है। चाहे ग्लूकोस की बोतल हो या बैण्डेज
अस्पताल में इन सबका टोटा रहता है। गरीबों को दी जाने वाली दवाये और अन्य
सामान खुले बाजार में बेच दी जाती है। विभाग के अधिकारी इस पर कोई
कार्यवाही नहीं कर रहे है। ऐसा लगता है कि इन सबके एकज में उनहे भी कमीशन
मिलता है।