प्रत्येक काल खण्ड में होती है अपनी भाषा व शब्दावलीः प्रो. हेरम्ब

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित कांफ्रेस हाल में सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये इलाहाबाद विवि के इतिहास विभाग के प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा कि प्रत्येक काल-खण्ड की अपनी भाषा और शब्दावली हुआ करती है। शोध में इसका ख्याल रखना जरूरी है। प्रो. चतुर्वेदी शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला के समापन सत्र में शोधार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने शोध के समकालीन कालजयी रचनाकारों के साहित्य का अवलोकन भी करते रहे। इससे उत्कृष्ट शोध प्रबंध लेखन में मदद मिलेगी। शोध परिकल्पना एवं शोध प्राविधि में सम-सामयिक दौर की रचनाओं के अध्ययन को भी शामिल करने की जरूरत है। समग्र अध्ययन करने से ही अपने उद्देश्य की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया की अन्य संस्कृतियों का निदर्शन संग्रहालय एवं पुस्तकों में है। वहीं भारत की पुरातन संस्कृति आज भी सर्वत्र परिलक्षित है। इसके पूर्व कार्यशाला के तकनीकी सत्र में विद्वान विषय विशेषज्ञ इलाहाबाद डिग्री कालेज के डा. अतुल सिंह ने शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन में सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन एवं एसपीएसएस आदि पर सारगर्भित जानकारी दी। पुस्तकालय में आये शोधार्थियों को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि के डा. एचके चक्रवर्ती एवं डा. विद्युत मल ने शोध लेखन हेतु वेबसाइट एवं इन्टरनेट पर उपलब्ध महत्वपूर्ण स्रोतों पर चर्चा किया। इस अवसर पर प्रो. डीडी दूबे, डा. एके मिश्र, डा. अविनाश पाथर्डिकर, डा. मनोज मिश्र, डा. सुशील सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. परमेन्द्र विक्रम सिंह, डा. रूश्दा आजमी, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, करूणा निराला, आशुतोष सिंह, पंकज सिंह सहित तमाम शोधार्थी मौजूद रहे। समापन सत्र पर सभी शोधार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यशाला का संचालन डा. आशुतोष सिंह, स्वागत आयोजन सचिव डा. वन्दना राय एवं आभार समन्वयक डा. राकेश सिंह ने जताया।

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