प्रति वर्ष पांच लाख रूपये कमाता है जौनपुर का यह किसान
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जौनपुर। जिले का एक किसान ने अपनी परम्परागत खेती छोड़कर बागवानी शुरू किया
तो उसकी किस्मत ही बदल गयी। आज वह मात्र एक एकड़ जमीन से प्रति वर्ष पांच
लाख रूपये पैदा करता है। रामजीत मौर्या नामक इस किसान ने इस जमीन के टुकड़े
में गेंहू और धान की खेती करता था। इस खेती से उसके परिवार का पेट तो भर
जाता था लेकिन बच्चो की पढ़ाई और दवाईयां लिए लाले रहते है।
जौनपुर मुख्यालय से करीब पच्चीस किलोमीटर दूरी पर बक्शा ब्लाक मसौली गांव में अपनी छटा विखेर रही यह बागवानी जहां पर्यावरण को बढ़ावा दे रही है वही इसके मालिक रामजीत मौर्या की जेब मोटी कर रही है। पहले इसी जमीन पर किसान गेहंू और धान की खेती किया करता था। शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम से खास बातचीत में बताया कि पराम्परागत खेती से उसे घाटा मिल रहा था। इससे आजिज आकर रामजीत ने कृषि विज्ञान केन्द्र पर जाकर वैज्ञानिको से बातचीत किया। वैज्ञानिको ने उसे बागवानी करने की नसीहत दिया और बागवानी करने की ट्रेनिगं दिया। रामजीत ट्रेनिग लेने के बाद बागवानी शुरू किया। मात्र तीन वर्ष के भीतर इस इलाके की तस्वीर और किसान की तकदीर बदला गया।
रामजीत मौर्या को ट्रेनिग देने वाले कृषि विज्ञान केन्द्र बक्शा के प्रोग्राम क्वाडिनेटर डा0 सुरेश कुमार कनौजिया भी रामजीत की तरक्की से काफी खुश है। उन्होने बताया कि अब पराम्परा गत खेती मे जादा फायदा नही है। इस लिए नई नई तकनीकी से खेती करके ही फायदा उठाया जा सकता है।
BITE- डा0 सुरेश कुमार कनौजिया प्रोग्राम क्वाडिनेटर कृषि विज्ञान केन्द्र बक्शा
जौनपुर मुख्यालय से करीब पच्चीस किलोमीटर दूरी पर बक्शा ब्लाक मसौली गांव में अपनी छटा विखेर रही यह बागवानी जहां पर्यावरण को बढ़ावा दे रही है वही इसके मालिक रामजीत मौर्या की जेब मोटी कर रही है। पहले इसी जमीन पर किसान गेहंू और धान की खेती किया करता था। शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम से खास बातचीत में बताया कि पराम्परागत खेती से उसे घाटा मिल रहा था। इससे आजिज आकर रामजीत ने कृषि विज्ञान केन्द्र पर जाकर वैज्ञानिको से बातचीत किया। वैज्ञानिको ने उसे बागवानी करने की नसीहत दिया और बागवानी करने की ट्रेनिगं दिया। रामजीत ट्रेनिग लेने के बाद बागवानी शुरू किया। मात्र तीन वर्ष के भीतर इस इलाके की तस्वीर और किसान की तकदीर बदला गया।
रामजीत मौर्या को ट्रेनिग देने वाले कृषि विज्ञान केन्द्र बक्शा के प्रोग्राम क्वाडिनेटर डा0 सुरेश कुमार कनौजिया भी रामजीत की तरक्की से काफी खुश है। उन्होने बताया कि अब पराम्परा गत खेती मे जादा फायदा नही है। इस लिए नई नई तकनीकी से खेती करके ही फायदा उठाया जा सकता है।
BITE- डा0 सुरेश कुमार कनौजिया प्रोग्राम क्वाडिनेटर कृषि विज्ञान केन्द्र बक्शा