160 वर्ष बाद भी बरक़रार है जौनपुर की इमरती का लज्जत
https://www.shirazehind.com/2016/09/160.html
जौनपुर। नगर के प्रख्यात बेनीराम देवी प्रसाद के दुकान की बनी इमरती की
लज्जत आज 160 वर्ष बाद भी उसी तरह से बरकरार है। इसके जायके मुरीद पूर्व
प्रधानमंत्री स्व0 चंद्रशेखर समेत कई दिग्गज नेता और बड़े अफसर है। इसकी
सुगंध जौनपुर ही नही बल्की देश के कोने कोने तक फैली है। यहां लोग जब अपने
नाते रिश्तेदार के घर जाते है इमरती ले जाना नही भुलते। अगर कही चुक हो गयी
तो उसे उलहना सुनना ही पड़ता है। अक्सर लोग अपने उच्चाधिकारियों की खिदमत
में इस इमरती को पेश करके अपना काम आसानी से करा लिया करते है।
शिराज ए हिन्द की सरजमी जौनपुर की धरती पर उगने वाली मूली मक्का पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए है वही यहां के बेनीराम देवीप्रसाद की दुकान की बनी इमरती लोगो को अपना गुलाम बना रखी है। यह इमरती पिछले 160 वर्षो से लगातार अपने लज्जत की बदौलत जिले का नाम पूरे देश में रौशन किया है।
दुकान के मालिक प्रेमचंद्र मोदनवाल ने बताया कि इस इमरती को बनाने सिलसिला सन् 1855 में गोमती नदी के किनारे शाहीपुल के पास नखास मोहल्ले के निवासी बेनीराम देवी प्रसाद दो सगे भाईयो ने शुरू किया था। इस इमरती की खासियत है कि उड़द की दाल ,देशी चीनी और शुध्द देशी से लकड़ी की आंच पर बनायी जाती है। इस आधुनिक युग में भी आज उड़द की दाल को सिल बट्टे पर पीसकर इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके कारण आज भी उसकी लज्जत बरकरार है। दुकानदार
इस इमरती को बनाने के लिए सिल बट्टे पर दाल पीस रही यह बुजुर्ग महिला कलावती देवी इस कार्य को करते करते अपनी पूरी उम्र गुजार दी है। महिला का कहना है कि इसी के कारण इस इमरती की स्वाद में चार चांद लगता है।
देशी चीनी और देशी घी में बनने के कारण इमरती चाहे गर्म या ठण्डी दोनो परिस्थितियों मुलायम एवं स्वादिष्ट होती है। सबसे बड़ी खासियत है कि इसे बिना फ्रीज में रखे दस दिन तक यह खराब नही होती है। इसी लिए इस इमरती मुरीद जौनपुर में हो या विदेशो में सभी इसका स्वाद चखने को बेकरार रहते है। इसके मुरीद देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर समेत यूपी के कई मुख्यमंत्री मुरीद रह चुके है।
शिराज ए हिन्द की सरजमी जौनपुर की धरती पर उगने वाली मूली मक्का पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए है वही यहां के बेनीराम देवीप्रसाद की दुकान की बनी इमरती लोगो को अपना गुलाम बना रखी है। यह इमरती पिछले 160 वर्षो से लगातार अपने लज्जत की बदौलत जिले का नाम पूरे देश में रौशन किया है।
दुकान के मालिक प्रेमचंद्र मोदनवाल ने बताया कि इस इमरती को बनाने सिलसिला सन् 1855 में गोमती नदी के किनारे शाहीपुल के पास नखास मोहल्ले के निवासी बेनीराम देवी प्रसाद दो सगे भाईयो ने शुरू किया था। इस इमरती की खासियत है कि उड़द की दाल ,देशी चीनी और शुध्द देशी से लकड़ी की आंच पर बनायी जाती है। इस आधुनिक युग में भी आज उड़द की दाल को सिल बट्टे पर पीसकर इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके कारण आज भी उसकी लज्जत बरकरार है। दुकानदार
इस इमरती को बनाने के लिए सिल बट्टे पर दाल पीस रही यह बुजुर्ग महिला कलावती देवी इस कार्य को करते करते अपनी पूरी उम्र गुजार दी है। महिला का कहना है कि इसी के कारण इस इमरती की स्वाद में चार चांद लगता है।
देशी चीनी और देशी घी में बनने के कारण इमरती चाहे गर्म या ठण्डी दोनो परिस्थितियों मुलायम एवं स्वादिष्ट होती है। सबसे बड़ी खासियत है कि इसे बिना फ्रीज में रखे दस दिन तक यह खराब नही होती है। इसी लिए इस इमरती मुरीद जौनपुर में हो या विदेशो में सभी इसका स्वाद चखने को बेकरार रहते है। इसके मुरीद देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर समेत यूपी के कई मुख्यमंत्री मुरीद रह चुके है।