देवनागरी लिपि में लेखन न करने वाले हिन्दी के सबसे बड़े दुश्मनः डा. यदुवंशी
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जौनपुर। देवनागरी लिपि में लेखन न करने वाले हिन्दी के सबसे बड़े दुश्मन हैं। ऐसे लोग हिन्दी को रोमन लिपि में लिखकर हिन्दी की जड़ को काट रहे हैं। फेसबुक, सोशल मीडिया आदि पर लोग जमकर हिन्दी को रोमन लिपि में लिख रहे हैं। यह देवनागरी की स्पष्ट उपेक्षा नहीं है लेकिन छद्म उपेक्षा तो है ही। उक्त बातें ‘अनुसंधान यात्रा’ के सम्पादक व शिक्षाविद् डा. ब्रजेश कुमार यदुवंशी ने हिन्दी दिवस पर बुधवार को आयोजित ‘वर्तमान परिवेश में हिन्दी’ विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही। उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी की मातृभाषा गुजराती थी। अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे लेकिन देश की आजादी के लिये व राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिये उन्होंने हिन्दी को अपनाया। हिन्दी की रोटी खाने वाले भी हिन्दी के प्रति गम्भीर नहीं हैं। डा. यदुवंशी ने यह भी कहा कि जहां वैश्विक स्तर पर हिन्दी को लेकर लोग उत्साहित हैं, वहीं हिन्दी भाषी लोग अंग्रेजियत के शिकार हो रहे हैं जो हिन्दी के लिये घातक है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये इण्डिका इन्फोमीडिया के प्रबन्ध निदेशक अरविन्द गुप्ता ने कहा कि हिन्दी के प्रति युवाओं की उदासीनता हिन्दी के भविष्य के लिये नुकसानदायक है। संगोष्ठी में सुधीर सिंह, आशीष यादव, मनसुख प्रजापति, विरेन्द्र यादव, आशुतोष टिंकल, यादव रोहित, राजेश नागर, मो. कामरान, रोहित यादव, रवि मंत्री, अभिषेक दूबे, कमलेश मौर्य, किशन, नीलेश, कपिल, सचिन, विशाल मौर्य सहित अन्य लोगांे ने विचार व्यक्त किया। संगोष्ठी का संचालन अजित राज ने किया।