शहीदों का शव गांव पहुंचते ही मचा कोहराम

गाजीपुर। जम्मू-कश्मीर के माछिल में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकियों के हमले में शहीद हुए मनोज कुशवाहा और शशंका सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार को गोजीपुर पहुंचा। यहां के अंधऊ हवाई पट्टी पर शहीदों के शव पहुंचे ही भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने दोनों के पार्थिव शरीर पर माल्‍यापर्ण कर शहीदों को नमन किया। अगले साल होनी थी शशांक की शादी।  जवान शशांक कुमार सिंह गाजीपुर के कासिमाबाद के नसीरुद्दीनपुर गांव के रहने वाले थे। वहीं, जवान मनोज कुशवाहा गाजीपुर के बिरनो के बद्धोपुर गांव के रहने वाले थे। शशांक के शहीद होने पर उनके पिता और परिजन फख्र महसूस कर रहे हैं। सभी ये चाहते हैं कि पाक की इस नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। शशांक अपने मां-बाप की 4 संतानों में सबसे छोटे थे। उनकी बड़ी बहन हैं। उसके बाद उनके बड़े भाई हैं जो राजपूत रेजिमेंट में ही जम्मू में पोस्टेड हैं। उसके बाद दूसरे भाई हैं, वो दिल्ली में जॉब करते हैं। शशांक की मई 2017 में ही शादी होनी थी। वो 2011 में सेना में भर्ती हुए थे।
 सैन्‍य अधिकारी ने कहा- देश हमेशा याद रखेगा इनकी शहादत
 शहीद के शवों को लेकर आए सैन्‍य अधिकारी डीडी चतुर्वेदी ने कहा कि गाजीपुर के इन जवानों की शहादत देश हमेशा याद रखेगा। शहीद मनोज के भाई बृजभान ने कहा कि हमें अपने भाई की शहादत पर गर्व है। अगले साल होनी थी शशांक की शादी जवान शशांक कुमार सिंह गाजीपुर के कासिमाबाद के नसीरुद्दीनपुर गांव के रहने वाले थे। वहीं, जवान मनोज कुशवाहा गाजीपुर के बिरनो के बद्धोपुर गांव के रहने वाले थे। शशांक के शहीद होने पर उनके पिता और परिजन फख्र महसूस कर रहे हैं। सभी ये चाहते हैं कि पाक की इस नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। शशांक अपने मां-बाप की 4 संतानों में सबसे छोटे थे। उनकी बड़ी बहन हैं। उसके बाद उनके बड़े भाई हैं जो राजपूत रेजिमेंट में ही जम्मू में पोस्टेड हैं। उसके बाद दूसरे भाई हैं, वो दिल्ली में जॉब करते हैं। शशांक की मई 2017 में ही शादी होनी थी। वो 2011 में सेना में भर्ती हुए थे।

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