शहर से लेकर खलिहानों तक चुनाव की चर्चा
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जौनपुर। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे गाँवों पर भी चुनावी माहौल का रग चढ़ने लगा है। सुबह-शाम लोग प्रत्याशी, पार्टी, प्रदेश की सियासी उठा-पटक पर चर्चा करते नजर आ रहे है। गाँव और शहर में रहने वाले लोगों को नयी सरकार से तमाम उम्मीदें है। हालाकि मतदाताओं को गुस्सा है कि चुनाव नजदीक आते ही राजनैतिक दलों के सूरमा विकास कायरें का सपना दिखाते हैं। जबकि चुनाव सम्पन्न होते ही यह सूरमा अपने द्वारा किये गये वादों को पूरा करने में आजतक विफल रहे। ऐसे माहौल में मतदाताओं ने गाँव और शहर की ऐसी समस्यायें जो वर्षाे गुजरने के बाद भी सवाल बनी हुई है। उन्ही मुद्दों पर मतदान करने की रणनीति बनाई है। चुनाव आयोग की सख्ती के चलते गाँवों में वो भीड़-भाड़ नहीं जुटती, लेकिन नुक्कड़ों और जहाँ चार लोग मिलते हैं, वही चुनावी चर्चा शुरू हो जाती है। गाँव के लोगों को देश और प्रदेश के मुद्दों से ज्यादा सरोकार नहीं है। उनके लिये अपने गाँव, इलाके के मुद्दे ज्यादा प्राथमिकता वाले है। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस बार राजनैतिक दल और प्रत्याशियों के छलावे में नहीं आयेंगे। आज भी क्षेत्र में तमाम ऐसे गाँव है, जहाँ विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी और रोजगार से कोसों दूर है। नहरे तो निकाली गई किन्तु सही समय पर सही ढग से सिल्ट सफाई नहीं करायी गई। जिससे नहर का पानी टेल तक नहीं पहुँच पाया। जिससे दर्जनों गाँवों के किसानों की फसलें सूखकर पीली पड़ गई है। ऐसे गाँवों के ग्रामीणों ने विकास कार्याे को मुद्दा बनाकर वोट देने की बात कही है।