जलती चिताओं के बीच खेली गई ये होली
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वाराणसी रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मणिकर्णिका महाश्मशान घाट
पर साधू-सन्यासी नागा और काशी के लोग चिताओं के बीच होली खेलते हैं। मशान
नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने ये
परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। महादेव यहां औघड़ दानी के रूप में विराजते
हैं। आज के दिन महादेव चिता भस्म की होली खेलते हैं। भस्म से उनका
श्रृंगार होता है। बाबा के प्रिय भक्त भूत-प्रेत, पिसाच, दृश्य-अदृश्य
जीवात्मा उनके साथ रंगभरी के दिन शामिल न होकर आज होते हैं। मुंड की माला
पहने नागा पूरे श्मशान में जलती चिताओं के बीच जाकर होली खेलते हैं।
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कुछ शवयात्री ऐसा मानते हैं कि काशी मर्ण्यम मुक्ति यानि काशी में मृत्यु
प्राप्त होना मुक्ति है। इस नगरी में मरना भी मंगलकारी होता है।
- काशी में शव ही शिव की मान्यता है। शव के दर्शन मात्र से बाबा का दर्शन माना जाता है।
- इसी घाट पर बाबा मृतक आत्मओं को तारक मंत्र देकर मुक्ति देते हैं।
- पृथ्वी पर एक मात्र ऐसा शमशान है, जिसे तीर्थ कहा जाता है।
- दोपहर आरती के बाद बाबा मान्यता के अनुसार शमशान पर होली खेलने आते है। यहां चिताओं से निकलने वाली अग्नि कभी बुझती नहीं है।
- मशाननाथ मंदिर में सदियों चिता की धूनी जलती आ रही है।