नेताओ , प्रशासनिक आकाओ के सह पर धडल्ले से चल रहे मानक विहीन स्कूल

विनोद साहू
जौनपुर।  शिराजे हिन्द की ज़मी जौनपुर के शाहगंज तहसील क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह स्कूल खोल कर व्यवसाय किया जा रहा है। क्षेत्र में शिक्षा के नाम पर सिर्फ व्यवसायीकरण किया जा रहा है।लोगों का कहना है कीे अब ऐसे विधालयों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।जिससे बच्चों का भविष्य व जिंदगी सुरक्षित रह सके।
       छः माह पहले एक समाज सेवी द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में मानक विहीन व फर्जी विद्यालयों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर किया था। जिससे पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग के अधिकारियों में खलबली मची हुई थी।
        बताते चले की समाज सेवी ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दिनांक वर्ष 2016 मे पी.आई.एल नंबर 31405 दायर की जिसमे उल्लेखित किया गया है की जौनपुर सहित पूरे प्रदेश में बिना मान्यता के स्कूल चल रहे है।वही अधिकारियो द्वारा शाहगंज में मानक विहीन स्कूलों को भी मान्यता दे दिया गया है।उक्त बातें कोर्ट संज्ञान में लेते हुए सम्बंधित अधिकारियों को आदेशित किया था कि जल्द ही कार्यवाही की जाय। जिसके बाद धड़ाधड फर्जी स्कूलों को बंद कराया गया था। परन्तु कुछ दिन बाद बंद स्कूल  पुनः प्रारम्भ हो गये। वही मानक विहीन मान्यता लिए विधालय अधिकारियों को खुश करने में जुट गए थे। जिसके बाद मामला ठन्डे बस्ते में चला गया।
         जानकारी के मुताबिक़  शाहगंज शिक्षा क्षेत्र में ही करीब 2 दर्जन से ज्यादा स्कूल ऐसे है जो बिना मानक के ही मान्यता प्राप्त कर चुके है।जहाँ रोज बच्चों के जान तथा स्वास्थ के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
 कुछ स्कूल बगैर मानक के ही मान्यता ले लोगों से रूपया ऐठ अपने शिक्षकों की मानदेय के लिए फ़ाइल भी भेज दिए है। जो सरासर गलत है।यह सब कुछ शिक्षा विभाग मे वर्षो से जमे व राजनीतिक प्रशय प्राप्त अधिकारियो की मिली भगत से हो रहा बताया जाता है।
             कोर्ट के सख्त रूख अख्तियार होने पर अधिकारी अपने बचाव के लिए फर्जी स्कूल संचालको से लिखवा लिए की स्कूल नहीं चलता है।एक साल से बंद है पर ऐसा नहीं सम्बंधित अधिकारी एक तरफ कागज़ पर लिखवा लिए है ।वही दूसरी तरफ फर्जी विधालय आज भी संचालित हो रहे है।

मान्यता के लिए ये है मानक
 नर्सरी से कक्षा 8 तक स्कूल की मान्यता लेने के लिए शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 नई मान्यता नीति के मुताबिक स्कूल भवन नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार रहने चाहिए। स्कूल के शिक्षकों और कर्मियों को अग्निशमन उपकरणों का प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए । एवं उपकरण लगा हो।
              हिंदी मीडियम की मान्यता लेने वाले प्राथमिक स्कूलों के लिए पांच कक्षाएं तथा उच्च्च प्राथमिक स्कूल के लिए तीन अतिरिक्त कक्षाएं जरूरी होती है । प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल के लिए प्रति छात्र 9 फीट तथा क्लास रूम का पूरा क्षेत्रफल 180 वर्ग फीट से कम नहीं होना चाहिए। प्रत्येक क्लास रूम में 20 बच्चों के बैठने की व्यवस्था होगी। प्रधानाध्यापक व स्टाफ के लिए अलग कमरा होगा।

 प्री-प्राइमरी से प्राइमरी तक के लिए 200 बच्चे और 7 क्लास रूम, प्राइमरी के लिए 150 बच्चे 5 क्लास रूम, प्री-प्राइमरी से जूनियर हाईस्कूल तक के लिए 275 बच्चे 10 क्लास रूम तथा प्राइमरी से जूनियर हाईस्कूल के लिए 225 बच्चे और 8 क्लास रूम होने चाहिए।
मानक और शर्तों को पूरा करने वाले नर्सरी, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों  का रंग सफेद होना चाहिए।
मान्यता लेने वाले स्कूलों में खेल का मैदान होना जरूरी है।लेकिन कस्बा सहित तहसील क्षेत्र में आधा दर्जन विधालय ऐसे है जिनके पास खेल का मैदान व अन्य सुविधाये भी नही है।

           प्रधानाध्यापक, कार्यालय और स्टाफ के लिए अलग-अलग कमरे होने चाहिए। छात्र-छात्रओं तथा शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए अलग-अलग मूत्रालय व शौचालय होने चाहिए। स्कूल में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए। इतनी मानक पूरा होने पर मान्यता मिलना चाहिए।
           पर भ्रष्ट अधिकारियों के चलते कस्बा में 13 से 30 फीट चौड़े  आवासीय मकान में भी स्कूल की मान्यता मिल गयी है। शाहगंज में कुछ ऐसे विधालयों को मान्यता मिला है जहाँ दिन में इतना अधेरा रहता है की छात्र आँख का रोगी हो सकता है। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी आखें बंद कर नौनिहालों के जिंदगी साथ खिलवाड़ करने वालों को खुली छूट दे दी है। जिससे बेधड़क मानक विहीन मान्यता वाले विधालय अपनी मनमर्जी कर रहे है। वही अभिभावक चिंतित भी है।   सबसे ख़ास बात है की बिजली विभाग भी इन संचालकों पर मेहरबान है। इनको आवासी कनेक्शन दे सरकार का चूना भी लगाया जा रहा है।

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