महाराणा प्रताप ने कभी भी साहस नहीं तोड़ाः स्वामी अम्बुजानन्द

जौनपुर। महाराणा प्रताप से हमें यह शिक्षा लेनी चाहिये  कि किसी भी कार्य के लिये प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिये। उन्होंने कभी किसी का इंतजार नहीं किया और राष्ट्र व सनातन धर्म की रक्षा के लिये मुगलों से लड़ते रहे। यहां तक कि जब किसी ने उनका साथ नहीं दिया तो भी उन्होंने अपना साहस नहीं तोड़ा। उक्त बातें महाराणा प्रताप जयंती पर मंगलवार को शिव सेवा संस्थानम् के संस्थापक/निर्वाहक स्वामी अम्बुजानन्द जी महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि कही। यह आयोजन सिकरारा क्षेत्र के सुरूआर पट्टी निकट फतेहगंज बाजार में स्थित श्रीराम बाल मंदिर विद्यालय के प्रांगण में आयोजित था। उन्होंने आगे कहा कि जंगलों में घास की रोटी खाते हुये महाराणा प्रताप अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये जीवन पर्यन्त लड़ते रहे। आज के युवा को महाराणा प्रताप की तरह जागना होगा और उनके पदचिन्हों पर चलकर सनातन हिन्दू धर्म एवं भारतवर्ष की रक्षा के लिये निरंतर अपने प्राणों का बलिदान देना होगा। इसके अलावा विशिष्ट अतिथि कमाण्डेंट रणजीत सिंह के अलावा अन्य वक्ताओं ने अपना विचार व्यक्त करते हुये महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर गोपाल सिंह, हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष मनीष सेठ, शिव सेवा संस्थानम् के विजय चौरसिया, राकेश सिंह, रामचन्द्र बिन्द, राजपूत रायल के जिलाध्यक्ष विशाल सिंह, आलोक उपाध्याय, गोलू सिंह, शशांक सिंह, सोनल सिंह, नवीन सिंह, आशुतोष उपाध्याय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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