दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति व आश्रित को भारत सरकार देगा प्रतिकरः डा. सुनील कुमार सिंह
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उन्नाव । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव के अध्यक्ष/जनपद
न्यायाधीश विकार अहमद अंसारी के निर्देशन के सेनानी राम बालक दीक्षित
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भदेवना माखी तहसील सदर में डा. सुनील कुमार सिंह
सिविल जज (सी. डि.)/एफटीसी उन्नाव की अध्यक्षता में विधिक साक्षरता शिविर
का आयोजन हुआ।
इस
मौके पर डा. सिंह द्वारा शिविर में शासन द्वारा संचालित योजनाओं एवं
कानूनी सहायता कार्यक्रमों के सम्बन्ध में उपस्थित लोगों को जानकारी दी
गयी। साथ ही उन्होंने बताया कि यदि दुर्घटना करने वाले वाहन का विवरण मालूम
न हो तो मोटर दुर्घटनाओं के शिकार व्यक्तियों को भारत सरकार द्वारा तोषण
निधि योजना 1989 के अंतर्गत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु होने की दशा
में मृतक के आश्रितों को 25 हजार रूपये और गम्भीर रूप से घायल व्यक्ति को
साढ़े 12 हजार रूपये प्रतिकर के रूप में दिलाये जाने की व्यवस्था है।
डा.
सिंह ने बताया कि आश्रितों द्वारा दुर्घटना के 6 माह के भीतर प्रार्थना
पत्र उपजिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किये जा सकते हैं जो अपनी संस्तुति
जिलाधिकारी को प्रस्तुत करते हैं। यह उपजिलाधिकारी जो अपनी जांच आख्या
क्लेम सेटलमेंट कमिश्नर जिलाधिकारी को प्रस्तुत करते हैं जिसके आधार पर
आवश्यक आदेश पारित किये जाते हैं। उत्तर प्रदेश में इस धनराशि के भुगतान का
दायित्व ओरिएण्टल बीमा कम्पनी को दिया गया है।
इसी
क्रम में राष्ट्रीय लोक अदालत के लिपिक राजीव मिश्र द्वारा आयोजित लोक
अदालत के सम्बन्ध में बताया गया कि उस दिन समस्त आपराधिक सुलह-समझौता योग्य
वाद एवं अर्थदण्ड से निस्तारित होने वाले वाद, धारा 138 परक्राम्य लिखित
अधिनियम के वाद मोटर दुर्घटना एक्ट क्लेम डिस्प्यूटस, सचिव न्यायालयों में
लगभग सभी प्रकार के मामले, राजस्व मामले मनरेगा से सम्बन्धित मामले, विधिक
अपील, फौजदारी अपील, द्वितीय अपील, बैंकों से सम्बन्धित लम्बित एवं
प्रीलिटीगेशन मामले, बिजली बिल, पानी बिल, सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स, सेवा
शर्तों से सम्बन्धित प्रकरण प्रकृति के समस्त मामलों का निस्तारण किया
जायेगा।
कार्यक्रम
का संचालन करते हुये कमलेश दीक्षित ने बताया कि किस प्रकार फौजदारी वादों
का सुलह समझौतों के आधार पर निस्तारण किया जाना है। उनके द्वारा बताया गया
कि किन अपराधों में प्ली बारगेनिंग का प्रयोग किया जाता है एवं प्रतिबंधित
अधिनियम के अपराधों को छोड़कर 7 वर्ष तक की सजा वाले सभी अपराधों के
अभियुक्त जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है, वे किस प्रकार अपना मामला प्ली
बारगेनिंग के आधार पर तय कराने हेतु सम्बन्धित न्यायालय में प्रार्थना
पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं।
कार्यक्रम
में पीड़ित व्यक्ति को प्रतिकर दिलाये जाने, अभियुक्त के अच्छे आचरण के
कारण भर्त्सना के बाद परिवीक्षा पर छोड़े जाने, अभियुक्त को प्रथम अपराधी
मानकर परिवीक्षा पर छोड़े जाने, जिन अपराधों में न्यूनतम दण्ड निर्धारित है,
उस न्यूनतम दण्ड के आधे दण्ड से अभियुक्त को दण्डित किये जाने, यदि
न्यूनतम दण्ड निर्धारित नहीं है तो अपराध में दिये गये दण्ड के एक चौथाई
भाग के दण्ड से दण्डित किये जाने की विधि आदि विषयों पर भी प्रकाश डाला
गया।
कार्यक्रम
में प्रमुख रूप से कृष्ण कुमार दीक्षित संरक्षक, सत्येन्द्र दीक्षित
प्रबंधक, विजय शंकर मिश्रा प्रधानाचार्य, विनोद सिंह तहसीलदार सदर उन्नाव
सहित तमाम लोग मौजूद रहे।