टीबी रोगियों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी

जौनपुर। जिले में प्रतिवर्ष बढ़ती टीबी रोगियों की संख्या चिता का सबब बन गई है। शासन स्तर से तमाम जागरूकता के बाद भी रोगियों की संख्या कम होने की बजाय प्रतिवर्ष बढ़ रही है। बढ़ते रोगी जहां विभाग के लिए चुनौती हैं वही जनपद के लिए चिता का विषय है। यही नहीं जिले में एक बड़ी आबादी अभी ऐसी है जिसे टीबी के लक्षण के बारे में पता भी नहीं है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे टीबी रोग से पीड़ित हैं। प्रदेश सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपये अपने बजट से टीबी रोग पर अंकुश लगाने व इसकी रोकथाम के लिए खर्च कर रही है। शहर से लेकर गांव तक इसके प्रचार-प्रसार और टीबी की रोकथाम के लिए निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन विभाग सिर्फ खानापूरी कर कागजों में आंकड़ों की बाजीगरी दिखा कर अपना कार्य कर लेता है। ऐसे में न तो लोग जागरूक हो पाते हैं और न ही उन्हें इस रोग के संक्रमण और खतरे के बारे में पता चल पाता है। टीबी चिकित्सालय में टीबी का दवा इलाज सबकुछ निःशुल्क है फिर भी बढ़ते रोगियों की संख्या पर विराम न लग पान चिन्ता का विषय बना हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अलावा प्राइवेट में 70 फीसद मरीज इलाज करा रहे हैं, जिनका आंकड़ा विभाग के पास नहीं है। प्राइवेट में दवा इतनी महंगी है कि रोगी कुछ दिन दवा खाने के बाद छोड़ देता है और यह रोग उसका पीछा नहीं छोड़ता। कुछ दिन बाद फिर से अपने पुराने रंग में आ जाता है। पांच वर्ष के बढ़ते रोगियों के आंकड़ों पर गौर करें चैंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। चिकित्सक बताते हैं कि पन्द्रह दिन से अधिक खांसी का आना, सीने में दर्द, लगातार शाम को बुखार, मुंह से कफ निकलना व खांसी के दौरान खून का आना टीबी का प्रमुख लक्षण है। अगर यह लक्षण दिख रहा हो तो तत्काल रोगी को टीबी अस्पताल में दिखाना चाहिए।   रोगियों की जांच के लिए अत्याधुनिक सुविधा है। एक टीबी का मरीज 10 से 20 लोगों को बीमारी बांटता है। यह खांसने, छीकने, जूठा खाने से फैलता है। हालांकि सही समय से ठीक ढंग से इलाज होने पर रोगी पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है।

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