लगी राजा जौनपुर की दरबार, दरबारियों ने दिया लगान
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जौनपुर। विजय दशमी के पावन पर्व पर राजा की हवेली में एक बार फिर
राजाशाही परम्परा दिखाई पड़ा। राजा अवनींद्र दत्त दुबे अपने पुश्तौनी
सिहासन पर आसिन होकर शस्त्र पूजन किया। इस मौके पर उनके दरबारियों ने लगान
दिया। यह नजारा देखने बाद राजतंत्र की परम्परा दिखाई पड़ा।
जौनपुर राज की स्थापना सन् 1776 में हुआ था पहले राजा शिवलाल दत्त दुबे हुए थे उस समय इस राज्य की सीमा मिर्जापुर से लेकर गोरखपुर तक हुआ करती थी। लेकिन अंग्रेजी हुकमत ने इस राज्य की सीमा को केवल जौनपुर तक सीमित कर दिया। स्थापना काल से ही हर विजय दशमी के पावन पर्व पर शस्त्र पूजन होता चला आ रहा है और दरबारी लगान देते चले आ रहे है। शस्त्र पूजन के बाद राजा अवनींद्र दत्त दुबे की सवारी रावण का पुतला दहने करने के लिए हाथी घोड़ा और वाहने के कतारो के साथ राजा पोखरे पर पहुंची। राजा ने पहले सम्मी पूजन किया उसके बाद रावण दहन करेंगे ।
जौनपुर राज की स्थापना सन् 1776 में हुआ था पहले राजा शिवलाल दत्त दुबे हुए थे उस समय इस राज्य की सीमा मिर्जापुर से लेकर गोरखपुर तक हुआ करती थी। लेकिन अंग्रेजी हुकमत ने इस राज्य की सीमा को केवल जौनपुर तक सीमित कर दिया। स्थापना काल से ही हर विजय दशमी के पावन पर्व पर शस्त्र पूजन होता चला आ रहा है और दरबारी लगान देते चले आ रहे है। शस्त्र पूजन के बाद राजा अवनींद्र दत्त दुबे की सवारी रावण का पुतला दहने करने के लिए हाथी घोड़ा और वाहने के कतारो के साथ राजा पोखरे पर पहुंची। राजा ने पहले सम्मी पूजन किया उसके बाद रावण दहन करेंगे ।
Very nappy to some more about Jaunpur Darbar.
जवाब देंहटाएंGood that the tradition is followed even now.
Good wishes to Rajasahab.