डाक्टर की लापरवाही के चलते हुई बच्ची का मौत, पिता ने डीएम और सीएमओ से लगायी गुहार
https://www.shirazehind.com/2017/10/blog-post_997.html
जौनपुर। नगर के नर्सिगं होमो पर लापरवाही के कारण मरीजो के मौत का आरोप थमने का नाम ही नही ले रहा है। आज एक पिता ने अपनी बेटी की मौत का ठिकरा नगर के एक चिकित्सक पर फोड़ते हुए आरोप लगाया है कि डाक्टर ने हाई एण्टी बाईटिक इंजेक्शन देने के कारण मेरी बेटी काल के गाल में समा गयी है। उसने डीएम और सीएमओ लिखित शिकायत देकर डाक्टर के खिलाफ कार्यवाही करने की गुहार लगायी है।
जलापुर थाना क्षेत्र के धरांव गांव के निवासी उमाशंकर चैरसिया ने आज जिलाधिकारी और सीएमओ को एक शिकायत पत्र सौपा। पत्र उसने लिखा है कि मेरी 3 वर्षीय बेटी प्राची को तबियत बीते 6 अक्टुबर को खराब हो गयी थी। मैने इलाज के लिए उसे नगर पुलिस लाईन के सामने स्थित एक नर्सिगं होम में भर्ती कराया। डाक्टर ने जांच कराया तो उसे पिलिया विमारी पायी गयी। डाक्टर अपने नर्सिगं होम भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया। उसकी हालत सुधरने के बजाय विगड़ती गयी। 10 अक्टुबर को डाक्टर ने उसे वाराणसी रेफर कर दिया। डाक्टरो के परामर्श पर मैं अपने बेटी का इलाज कराने के लिए दिल्ली के आई एल वी एस में भर्ती कराया। दिल्ली में जांच के बाद पता चला कि प्रथम उपचार में हाई एण्टी बाईटिक का प्रयोग किया गया जिसके कारण प्राची का लीवर फेफड़ा और मस्तिष्क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। 17 अक्टुबर को प्राची की मौत हो गयी।
दिल्ली के डाक्टरो की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि पहले उपचार करने वाले डाक्टर की लापरवाही के कारण मेरी बेटी की मौत हुई है।
बेटी के मौत बाद मै जौनपुर आकर डाक्टर से इलाज करने सम्बधिंत पत्रावली मांगा तो उन्होने पत्रावली देने से इंकार कर दिया। मैने 100 नम्बर पर डायल करके पुलिस को सूचना दिया। सूचना पर लाईनबाजार थाने की पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।
जलापुर थाना क्षेत्र के धरांव गांव के निवासी उमाशंकर चैरसिया ने आज जिलाधिकारी और सीएमओ को एक शिकायत पत्र सौपा। पत्र उसने लिखा है कि मेरी 3 वर्षीय बेटी प्राची को तबियत बीते 6 अक्टुबर को खराब हो गयी थी। मैने इलाज के लिए उसे नगर पुलिस लाईन के सामने स्थित एक नर्सिगं होम में भर्ती कराया। डाक्टर ने जांच कराया तो उसे पिलिया विमारी पायी गयी। डाक्टर अपने नर्सिगं होम भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया। उसकी हालत सुधरने के बजाय विगड़ती गयी। 10 अक्टुबर को डाक्टर ने उसे वाराणसी रेफर कर दिया। डाक्टरो के परामर्श पर मैं अपने बेटी का इलाज कराने के लिए दिल्ली के आई एल वी एस में भर्ती कराया। दिल्ली में जांच के बाद पता चला कि प्रथम उपचार में हाई एण्टी बाईटिक का प्रयोग किया गया जिसके कारण प्राची का लीवर फेफड़ा और मस्तिष्क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। 17 अक्टुबर को प्राची की मौत हो गयी।
दिल्ली के डाक्टरो की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि पहले उपचार करने वाले डाक्टर की लापरवाही के कारण मेरी बेटी की मौत हुई है।
बेटी के मौत बाद मै जौनपुर आकर डाक्टर से इलाज करने सम्बधिंत पत्रावली मांगा तो उन्होने पत्रावली देने से इंकार कर दिया। मैने 100 नम्बर पर डायल करके पुलिस को सूचना दिया। सूचना पर लाईनबाजार थाने की पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।