जो ठान लिया करती गयी और बन गयी साहसिक मिसेस इण्डिया यूनिवर्स

मिर्जापुर। अपनी चंचलता और कार्यो के प्रति बचपन से ही गंभीर रहने वाली अनीता सिंह ने 27 अक्टूबर को राजस्थान के उदयपुर में आयोजित ’’साहसिक मिसेस इण्डिया यूनिवर्स’’ का खिताब अपने नाम कर लिया।
कभी अपने वैभव, पीतल के उद्योग और कालीन के लिये मशहूर लक्ष्मी का नगर कहा जाने वाला मिर्जापुर अब अपनी बेटियों की बौद्धिकता और कार्य कुशलता की चमक से राजधानी क्षेत्र में नई पहचान बना रहा है। आदि शक्ति पीठ विन्ध्याचल की ख्याति रखने वाले मिर्जापुर का डंका बजाने का काम किया है शहर के देवपुरवा मुहल्ले की बेटी अनिता सिंह ने। सेवानिवृत्त नौसैनिक प्रेम नाथ सिंह की सुपुत्री अनिता सिंह जो शहर के ही सेंट मैरिज से दसवीं और लॉयंस स्कूल से 12वीं में टॉप किया। इसके बाद नोएडा के जेएसएस एकेडमी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त किया है। वर्तमान में देश की नामी आईटी कम्पनी टीसीएस में प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2007 में आईटी की नामी गिरामी कम्पनी इंफोसिस से अपने कैरियर की शुरुआत की।
अनिता का विवाह बिहार निवासी और पेशे से इंजीनियर अभिषेक सिंह से वर्ष 2009 में हुआ। अपने पेशेवर जिन्दगी में यूके में एक साल के अपने व्यावसायिक प्रवास को भी निभाया है। गृहणी के साथ ही अपने जीवन में सफल अनिता सिंह एक पुत्र की माता की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं। अनिता इस भागमभाग भरी जिंदगी में स्वस्थ रहने के लिये पश्चिम की ’जुम्बा पद्धति’ की सफल ट्रेनर का भी दायित्व निभाने का काम करती हैं।
देश की सबसे बड़ी ’’जुम्बा’’ प्रतियोगिता 2017 में अहम जिम्मेदारी को भी सफलतापूर्वक निभाने के साथ इसके प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। महिलाओं को आगे आकर अपने अधिकार और कार्यकुशलता की हिमायती अनिता ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गुरुग्राम में अक्टूबर में आयोजित ’’मिसेस इण्डिया यूनिवर्स एनसीआर’’ का खिताब जीता इसके बाद 27 अक्टूबर को राजस्थान के उदयपुर में आयोजित ’’साहसिक मिसेस इण्डिया यूनिवर्स’’ का खिताब अपने नाम किया।
समाज मे महिलाओं के स्वास्थ्य, जागरूकता और फिटनेस पर कार्य करने वाली देश भर के तमाम राज्यों के साथ ही यूके, सिंगापुर और हांगकांग की कुल 42 प्रतियोगी शामिल रही। नौसैनिक के रूप में कार्य से मुक्त हुए पिता प्रेमनाथ सिंह को अपनी बेटी पर नाज है। देश बेटियां इसी प्रकार आगे बढ़े आसमान को छुए। बच्चें होनहार हो तो वह परिश्रम की बदौलत उन्नत करते है।
पति के सेना में होने के कारण घर पर माता के साथ पिता का भी वर्षो दायित्व निभाने वाली उर्मिला सिंह अनीता के बचपन में खो जाती है। कहा कि यह शुरू से ही अपने कार्यो के प्रति गंभीर रही जो ठान लिया उसे करके मानती थी।

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