गेस्ट हाउस कांड के 'गवाह' रहे हैं UP के नए DGP ओपी सिंह

लखनऊ। योगी सरकार ने रविवार को 1983 बैच के आईपीएस अफसर ओपी सिंह (ओमप्रकाश सिंह) को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बना दिया है। ओपी सिंह अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआइएसएफ में डीजी के पद पर हैं। वहां से कार्यमुक्त होने के बाद वह डीजीपी का पदभार ग्रहण करेंगे। मूलरूप से बिहार के रहने वाले ओपी सिंह का लखनऊ से काफी करीबी नाता रहा है तो विवादों में भी रहे हैं। सबसे बड़ा विवाद कहें या संयोग। यूपी की सियासत का सबसे काला दिन था वो 2 जून 1995, जब पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के साथ गेस्टहाउस कांड हुआ तो उस समय लखनऊ के एसएसपी ओपी सिंह ही थे।
दरअसल, राजनीतिक घटनाक्रम के चलते उस समय मायावती मुलायम सिंह यादव की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इससे नाराज सपा के कार्यकर्ताओं व विधायकों ने मायावती के ऊपर हमला बोल दिया था। मायावती उस दिन मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाऊस में रुकी हुई थीं। मायावती के साथ अभद्रता, हाथापाई व मारपीट की कोशिश की गई। उसी समय पूर्व विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने उनकी न सिर्फ इज्जत बचाई थी, बल्कि जान भी बचाई और सपा कार्यकर्ताओं से भिड़ गए थे। 
ओपी सिंह को किया गया था निलंबित
जब ये घटना हुई उस समय ओपी सिंह लखनऊ के एसएसपी थे। काफी विरोध व हंगामे के बाद उन्हें निलंबित भी कर दिया गया था। लखनऊ में सिंह की पोस्टिंग 2 जून को ही हुई थी और ये घटना भी उसी दिन हुई। घटना के बाद 4 जून को उन्हें निलंबित कर दिया गया। जानकारों का कहना है कि ओपी सिंह को पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है। मुलायम सिंह के सीएम रहते नोएडा में ओपी सिंह के लिए अपर पुलिस महानिदेशक का पद तक बना दिया गया था। मायावती सरकार में उनको साइडलाइन रखा गया।

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