17 साल बाद साधु वेश में घर लौटा युवक
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जौनपुर। केराकतथाना क्षेत्र के पसेंवा गांव में पांच दिन पहले भिक्षा मांगने आए पांच
साधुओं में से एक को अपना सत्रह साल पहले लापता हुआ बेटा बताते हुए एक
परिवार के लोगों ने रोक लिया। परिजन की मानें तो पहले उसने भी स्वीकार कर
लिया लेकिन साधुओं के न छोड़ने और मामला कोतवाली पहुंचने पर वह मुकर गया।
पुलिस का कहना है कि सोमवार को उप जिलाधिकारी के समक्ष उसका बयान दर्ज
होगा। इसके बाद वह जो निर्णय लेगा वही मान्य होगा।
गांव में आकर ठहरा साधुओं का पांच सदस्यीय दल कमला प्रसाद निषाद के घर पहुंचा। साधुओं में से एक को कमला निषाद ने सत्रह साल पहले लापता हुआ अपना बेटा प्रमोद कुमार होना बताया। परिवार के अन्य सदस्यों की पहचान भी की। वह अपनी ननिहाल और बुआ के यहां गया तो वहां भी लोगों ने पहचान लिया। प्रमोद रोजी-रोटी के सिलसिले में गुजरात गया था और तभी से उसका पता नहीं चल रहा था। साधुओं का दल उसे छोड़ने को तैयार नहीं हो रहा था। परिजन रविवार की शाम उसे लेकर कोतवाली आए। जहां युवक ने परिजनों को पहचानने से इनकार कर दिया और अपना नाम राकेश कुमार निवासी चित्रकूट बताने लगा। कोतवाल शशि भूषण राय ने मामले की छानबीन के बाद कहा कि सोमवार को उप जिलाधिकारी के यहां युवक का बयान होगा। इसके बाद वह जिसके साथ जाना चाहेगा, उसी का फैसला माना जाएगा।
गांव में आकर ठहरा साधुओं का पांच सदस्यीय दल कमला प्रसाद निषाद के घर पहुंचा। साधुओं में से एक को कमला निषाद ने सत्रह साल पहले लापता हुआ अपना बेटा प्रमोद कुमार होना बताया। परिवार के अन्य सदस्यों की पहचान भी की। वह अपनी ननिहाल और बुआ के यहां गया तो वहां भी लोगों ने पहचान लिया। प्रमोद रोजी-रोटी के सिलसिले में गुजरात गया था और तभी से उसका पता नहीं चल रहा था। साधुओं का दल उसे छोड़ने को तैयार नहीं हो रहा था। परिजन रविवार की शाम उसे लेकर कोतवाली आए। जहां युवक ने परिजनों को पहचानने से इनकार कर दिया और अपना नाम राकेश कुमार निवासी चित्रकूट बताने लगा। कोतवाल शशि भूषण राय ने मामले की छानबीन के बाद कहा कि सोमवार को उप जिलाधिकारी के यहां युवक का बयान होगा। इसके बाद वह जिसके साथ जाना चाहेगा, उसी का फैसला माना जाएगा।