इस शख्स के आँगन में है गौरैयों का आशियाना
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जौनपुर। गांव का कोई घर ऐसा नहीं था, जिसमें गौरैया के रहने के लिए जगह
नहीं बनी होती थी। शहरीकरण हुआ, कंक्रीट के जंगल में तब्दील शहर में गौरेया
के लिए भी जगह नहीं बची। हम सब के बीच से आंगन में फुदकने वाली प्यारी
गौरैया गायब हो गई। ऐसे में इसके संरक्षण की पहल को लेकर शहर के कुछ जागरूक
लोग आगे आए हैं। जिन्होंने खुद अपने घर में घोंसले बनाए हैं और दूसरों को
भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।
गौरैया के संरक्षण को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायक व पूर्व
मंत्री शैलेंद्र यादव ललई हमेशा सजग रहते हैं। आज भी अपने भोजन से पहले
गौरैया को खाना खिलाते है।
उन्होंने अपने घर पक्खनपुर मे गौरैया के घोंसलों को समाजवादी के रंग से सजाया है। उनके परिवार वाले और स्वयम गौरैया के लिए नियमित खाने-पीने का इंतजाम करते हैं। गरमियों में उनके खाने पीने की विशेष व्यवस्था करते है।
उन्होंने अपने घर पक्खनपुर मे गौरैया के घोंसलों को समाजवादी के रंग से सजाया है। उनके परिवार वाले और स्वयम गौरैया के लिए नियमित खाने-पीने का इंतजाम करते हैं। गरमियों में उनके खाने पीने की विशेष व्यवस्था करते है।
श्री यादव के आंगन में चहचहाती हैं कई साल से गौरैया के
संरक्षण में जुटे हैं। उनके घर पर 20 से अधिक घोंसले हैं, जिनमें गौरैया
चहचहाती हैं। उनका कहना है कि आज मानव की सबसे नजदीक रहने वाली पक्षी
गौरैया गायब हो गई है। इसके संरक्षण की जरूरत है। यह पक्षी आंगन के
कीट-पतंगों को नष्ट कर देती है। इससे कई बीमारियां से बचाव भी हो जाता है।
उनका कहना है कि यह पक्षी पर्यावरण में संतुलन बनाने का भी काम करती है।
गौरैया का आंगन में चहचहाना बहुत अच्छा लगता है। गौरैया का घरों से जुड़ाव
रहता है। छोटे-छोटे बच्चे उन्हें देख-देख कर बड़े होते हैं। उन पक्षियों से
पारिवारिक जुड़ाव रहता है।
ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल
मे इनके संरक्षण के लिए बहुत कार्य किया। अखिलेश यादव ने विलुप्त हो रही
गौरैया पक्षी के संरक्षण पर विशेष बल देते हुये 20 सितम्बर को गौरैया दिवस
मनाते रहे। इसी क्रम में वन विभाग की ओर से घोसलों का निर्माण कराकर वितरित
किया जाता था।